सत्य क्या है?
हम ,हमारा अस्तित्व या कुछ इससे इतर!
हमारा नजरिया,
हमारे सत्य का निर्माण करता है।
उदाहरण,स्वतंत्रता संग्राम से देखिये,
यहाँ भी परस्पर दो सत्य थे,
क्रांतिकारियों की दृष्टि का,
सत्य स्वतंत्रता थी,
जो उन्होंने प्राणों के मूल्य पर प्राप्त की।
अब बात बाकियों की,
इनका एकमेव लक्ष्य था सत्ता,
जो इन्होंने किसी भी प्रकार प्राप्त कर ली।
या हथिया ली!
क्या फर्क पड़ता है?
विस्तार तो उनके कुत्सित सत्य का हुआ,
हम भूल गए उन्हें जिन्होंने,
अपने रक्त से इस स्वतंत्रता,
के पौधे को सींचा था,
क्रमशः अनुशीर्षक में...
सिद्धार्थ मिश्र-
24 DEC 2018 AT 13:22