फ़ना होके जब वो आएंगे एहसासों में हमारे ...जाफरीन-ए-कलम से सलाम लिखेगें... वो आएंगे तस्सवुर में यकीं है कभी ...हम जिन्दगी उनके नाम लिखेगें ..🎼
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जिनका केवल मात्र नाम मेरी आंखों के आंसू को मोती बना देता है
जिनकी सांवली सूरतिया ने मेरा मन हर लिया है
जिनकी हर एक अदा पर मैं पल पल जान वार्ती हूं
जिनकी हर चाल मेरे हृदय पर पांव रखती है
जिनका हर गीत मेरे लफ्ज़ों में छुपा रहता है
जिनकी वजह से मैंने बहुत कुछ सीखा है वहीं मेरे गुरु है
जिनकी वजह से ज़िन्दगी ने मुझे स्वीकारा है
जिनकी वजह से मुझे ज़िन्दगी अच्छी लगती है
जिनकी वजह से मैं अपने आप को भूल जाती हूं
जिनकी वजह से मैं हर तरह से खुश हूं
जिनकी वजह से मेरी धड़कनें चलती है
जिनकी वजह से मेरी सांसे चलती है
जिनकी वजह से मैं हर वक़्त अच्छाई देखती हूं
जिनकी वजह से मेरा पेट भरता है
जिनकी वजह से मेरा इस दुनिया में पालन हुआ है
जिनकी वजह से मुझे ज़िन्दगी मिली है
जिनकी वजह से मुझे माता पिता का सहारा मिला है
जिनकी वजह से मुझे हर रिश्ता मिला है
जिनकी वजह से मुझे सब कुछ मिला है
जिनकी वजह से मुझे आत्मा मिली है
जिनकी वजह से मुझे जिनसे प्रेम हुआ है
मेरे उन प्राणेश्वर , मेरे साथी , मेरे जीवन
मेरे आराध्य , मेरे प्रेम, मेरे सखा , मेरे सहारा
श्रीकृष्ण को प्रेम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💙-
हद से ज्यादा तुझे चाहने लगी हूं
खुद से ज्यादा तुझे चाहने लगी हूं
तुझे अपने पास महसूस करने लगी हूं
सपनों में भी तुझे देखने लगी हूं
हर शब्द में तेरा नाम ढूंडने लगी हूं
हर लब्ज़ पर तुझे सजाने लगी हूं
हर गीत में तुझे सुनने लगी हूं
तूझे हर किसी में देखने लगी हूं
खुद में तुझको देखने लगी हूं
पूरी दुनिया से प्रेम करने लगी हूं
सूरज में तेरा प्रकाश देखने लगी हूं
चांद में चेहरा देखने लगी हूं
आसमान में तेरा चित्र बुन्ने लगी हूं
तुझे अपना आधार मानने लगी हूं
हर धड़कन तुझ पर वारने लगी हूं
हर सांस तेरी ख़ुशबू से लेने लगी हूं
तेरे दर्शन की आस में जीने लगी हूं।।-
न जाने क्यों
एक-दूजे के लिए..हम,
कभी कुछ लिख ही न पाये !
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क्योंकि जब भी हम
लिखने बैठे तो..
एक शब्द से अधिक,
लिख ही न पाए..
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और उस एक शब्द में
उसने..मुझे "प्रेम" लिखा
और
मैंने उसे..मेरी "आत्मा"..♥️-
तेरे एक वादे की याद मे मगरूर बैठी हूँ
पुकारते हैं कई पर.. कर खुद को दूर बैठी हूँ
यों तो जिन्दगी की राह में ..
बन सकता है हमसफर क़ोई भी मगर,,,,
तेरी यादों के साये मे सब भूल बैठी हूँ .-
खुली अखियों को प्यास है तेरी
सोती अखियों को आस है तेरी
कृष्ण नाम की कहानी है मेरी
तुझसे प्रीत लगा बैठी है ये आत्मा मेरी
आखिर ये सब भी तो हुए इच्छा से तेरी
उठा कलम और लिख तकदीर मेरी
बना दे हाथों की लकीर तेरी
तोड़ दे जगत से रीत मेरी
तू ही तू है रूह मेरी
दुनियां मुंह मोड़ ले इजाज़त है मेरी
तू रूठ जाए मंजूर नहीं मुझे ये सोच मेरी
कृष्ण कृष्ण कृष्ण रटे आत्मा मेरी
हे गोपाल कृष्ण मैं प्रेमी हूं तेरी
हे बांके बिहारी तू दुनिया है मेरी
हे चितचोर मुरारी तू आरज़ू है मेरी
तेरे वश में है ये आत्मा मेरी
तू हज़ारों का है लेकिन मैं सिर्फ हूं तेरी-
तुम तोड़ के बंदिशें ....मेरा हाथ जो थामो..
मै चर्चे तुम्हारे बेबाक़ लिख दूँ ,,,,
तुम करो तो सही इजहार-ए-महोब्बत ....
मैं कहानी हमारी सरेआम लिख दूँ ♡-
जब से तुम संग मन लगाया
मैं बड़ी मस्ती में हूं मेरे राधारमण
जब से तू रास आया
मैं बड़ी खुशी में हूं मेरे रसिया
मैं तो खोई खोई नाचूं और गाऊँ
जब से तू नैनों में बसा हृदय में बसा
मैं तो बड़ी आनंद में हूं मेरे मन भसिया
जब से तुम संग धुन लगाई
मैं तो मन में फिरू तेरी माला मेरे मनमोहन
जब से तुम संग आस लगाई
मैं तो बड़ी सहमत हूं मेरे चित चोर
जब से तुम संग नाता लगाया
मैं तो हर रिश्ता तुझसे निभाती हूं मेरे आराध्य
जब से तुझ संग प्रीत लगाई
मैं तो प्रेम में मग्न हूं मेरे प्रेमी
राधा के प्रेम में तू राधारमण कहलाया
मैं तेरे रंग में रंगकर कृष्णरमण कहलाऊंगी
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