धीरे-धीरे बीत गये जो थें लम्हे
जो था पहले वो अब, रहा नहीं
महफ़िल तो कभी एकान्त में
चुपचाप सुना कुछ कहा नहीं
कोशिशें हजार की छलने की मगर
रोक रखें इसे पलकों पर बहा नहीं
निखर गयी फिर से खुबसूरती
लाख कांटों के बीच क्या कुछ सहा नहीं
ढूंढता फिर रहा वो सूकूऩ दर-बदर
क्या बचा अब वैसा, जहाँ नहीं???
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तु मोहब्बत का किस्सा बन जा मैं हुस्न की अदाएगी
निभा दूँ,वफ़ा को मिल हम निभाएगें साथ में एक घूंट
तु होठों से अपनी पी ले,एक घूंट इस इश्क को मैं
अपनी आँखों से आ जी भर मैं पी लूँ।-
हम किसी के काबिल नहीं हमारा ये दर्द
किसी को क्यों दिखता नहीं,हमें तो जैसे
अब ये दर्द सहने की आदत सी हो गई है,
और दर्द देने वाले कुछ लोगों को फिर
लगता है की उन्होंने तो कुछ भी किया ही
नहीं,वाह री हमारी तक़दीर तूने भी क्या
चुना हमें की यहाँ तो जैसे सभी हमारे
दुश्मन हो गये।-
तुही आ बिखरा था रात हमारे इन ख्यालों में
किसी खुशबू के जैसे,
फिर कहाँ नींद आती हमारी इन आँखों में,ये
दिल भी हमारा बड़ा ही मासूम
है जो हर बार अपनी नींदें गवां कर भी,बस
तेरे लिए ही ये जागा करता है,इन अंधेरी
काली रातों में युहीं तन्हाँ
अकेला रह कर खुश रहा करता है।-
ज़िंदगी का काम है इम्तिहान लेना और हमारा
काम है ये इम्तिहान देना ये करवां बस युहीं
चलता रहेगा उम्रभर्,हम अपना सब कुछ
बिखरा हुआ तुझे फिर से संवार दिखायेगें ये
हमारे लिए कोई मुश्किल बात नहीं,हम तुझे
आज भी अपना वही पहले वाला हुनर दिखा
हैरान कर डालेगें।-
वफ़ा गर मोहब्बत में हो सच्ची तो बर्बाद होना
भी इस दिल को हम मंज़ूर करते हैं,कोई इतना
करीब आ जाए गर हमारे तो
पुरी दुनियाँ में हम उसे ही बस अपनी ज़िंदगी
अपनी जान बना अपने इस दिल में
संभाल रखते हैं।-
शुरु से इस प्रेम कहानी का हम
हिस्सा बने रहे,मगर अंत में नाम
किसी और का देख हमारे होश
उड़ गये,आँखों में नमीं लिए हम
किसी ज़नाज़े के जैसे उसके घर
के आगे से,हमेशा हमेशा के लिए
आज यूँ रुखसत हो चले।-
टुकड़े बाँट लिए थे कभी हमने आपस
में अपने अपने दिल के,आधा ले गया
था वो साथ अपने आधा हम ले आये
थे साथ अपने,अब दुश्वरियां दिल की
नहीं सही जाती है हमसे,करदे कोई
मेहरबानी एक बार बस हमपे दो दिलों
को आके मिलादे,एक दूजे से कोई यार
खुदा बनके।-
मुझे ना ले चलो कांधे पे अपने इनमें से
ऐसा कोई नहीं जिसे मैं अपना कह सकूं,
क्यों मेरी मिट्टी से तुम यूँ ये दग़ा निभाने
को कह रहे हो,
ले जाओ कोई इन्हें हमसे ज़रा दूर अब
हम अपने ही
ये आंसु पीने की हालत में नहीं रहे हैं,
कह दो यहां खड़े हर एक आये अजनबी
मेहमानों से,
की हमारी इस अर्थी को ले जाने का ये
हक़ हम आज इनको हक़ से दे रहे हैं,
उम्रभर अब हम चैन से सोना चाहते हैं
कह दो कोई इनसे ज़रा की अब तो ये
लोग हमसे हमारा ये हक़ ना छीनें।-
छूटे ना अब मेरे यार की वो गलियाँ मुझसे
ऐ दोस्त अब उसके बिन जीना हमको लगता
मुमकिन नहीं क्यों नहीं समझता वो मेरे इस
दिल की बातों को क्या उसे हमारी कोई परवाह
नहीं क्यों ऐसे हरजाई से हमने अपना ये दिल
जोड़ा है जिसे हमारे प्यार का एहसास तक नहीं
उसे ये खबर तक नहीं की वो हमारा ये दिल
आखिर किस तरह से तोड़ रहा है कोई तो उसे
ये बताये की हम उसके बिना कैसे मर मर कर
जी रहे हैं।-