इंद्रधनुष
के सप्त
रंगों में
विलीन होना
चाहती हूं.....-
जहाँ बेचैन को चैन मिले,,
वो घर तेरा वृन्दावन है,,
जहां आत्मा को परमात्मा मिले,,,
वो दर तेरा वृन्दावन है.,,
मेरी रूह तो प्यासी थी,,,
प्यासी है तेरे लिए सावरिया,,,
जहां इस रूह को जन्नत मिले,,
वो स्थान ही मेरा श्री वृन्दावन है.-
सर पर सजे ये मोर पंख बड़े लुभावने
संग तेरे मौसम भी लगे है अति सुहावने,
तुम्हारी कजरारी नयनों का जादू साँवरे
जिसे देखे तु एक बार, तेरा दीवाना हो जाए रे,
मैं तो कब से मोहन तेरी राह को निहारती
तुझसे मिलने की चाह में आस लगाए रहती,
तेरी वो मधुर सी बंसी की आवाज़ जो पागल कर जाती
सुन कर मधुर तान मैं हर गम को जैसे भूल जाती,
कर्णों में विराजे वो चमकीले कुण्डल तेरे जो दूर से ही प्रकाशित होते
तेरे वो कोमल हाथों का स्पर्श सबके मन को मोह लेते,
तेरी मासूम सी चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान का आना
तेरी सूरत के बारे में मोहन अब क्या कहना..!!
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