QUOTES ON #कच्चीकलमPOONAM

#कच्चीकलमpoonam quotes

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28 APR 2020 AT 23:42

(( कान्हा ))
वो वृंदावन की गलियन कान्हा क्यूं छोड़ गए तुम आते नहीं
वो मधुर स्वर बंसी की कान्हा क्यूं फिर से तुम बजाते नहीं
यमुना तट की वो चंचल धारा क्यूं वस्त्र चुरा ले जाते नहीं

माखन मटकी लिए राह खड़े हैं एक युग से बाट निहार रहे
आस भरे ये नयन ओ कान्हा क्यूं कंकड़ फेंक सताते नहीं

कर सोलह श्रृंगार, चंद्र भी नभ में, चंचल छटा बिखेर रहा
शुक्ल पक्ष की रास पूर्णिमा क्यूं महारास रचाने आते नहीं

देख विरह की व्यथा हमारी क्यूं तरस तनिक भी खाते नहीं
वो वृंदावन की गलियन कान्हा क्यूं छोड़ गए तुम आते नहीं ।

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18 FEB 2020 AT 22:51

वक्त की झुर्रियों में छुप जाएगी सारी जवानी
कैसे इतराओगे तब खोकर के हुस्न निशानी ।

इक मोड़ पे तो आकर रुक ही जाओगे आख़िर
किसे सुनाओगे उस हिज्र की दास्ताँन ज़ुबानी ।

ताउम्र नहीं कुछ देखो ज़रा आईना-ए-हकीकत
आहिस्ता से छलती मगर ढल रही उम्र सुहानी ।

ख़िजा के मौसम में कहती रही वो नज़र मुझसे
टूटे फूलों की भी होती है कुछ अपनी कहानी ।

सिमट जब जाएगी लकीरों में जिस्म की रवानी
कैद कर लेना मन के कोने में वो हुस्न रुहानी ॥

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21 MAR 2021 AT 10:52

अनजान सफर बेईमान डगर साथ अपने तन्हाई है
यह दिख रहा जो कारवां-सा वह तो बस परछाई है

रक़ीब बनें सब चेहरे लब शमशीर उठाए फिरते हैं
घायल मन बेसुध बदन शिकस्ता दर्द की गहराई है

फिर उम्मीद का एक नया हम चिराग उठाए बैठे हैं
थाम के अश्क़ किनारों पे एक ख्वाब सजाऐ बैठे हैं

बेमतलब सी राहों पर कहीं दूर तलक अब जाना है
जो हो रहा नामुमकिन सा ताख़ीर मगर वही पाना है

वो छोड़ ख़याबाॅं मोड़ कहीं किए हिज्र से रुसवाई है
फिर गूंज रहा कुछ कानों में क्या दूर कहीं शहनाई है

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12 FEB 2021 AT 18:17








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3 JUL 2020 AT 17:28

'अपाहिज ना कहिए'

अपाहिज ना कहिए कि हाँ बस थोड़े अलग से हैं हम
रखिए सहानुभूति पास अपने माना थोड़े गलत हैं हम

छोड़िए एलान-ए-जंग कि ये लड़ाई हमारी खुद से है
जीत लेंगे खुद ही खुद से चाहे थोड़े ग़फलत से हैं हम

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26 SEP 2019 AT 22:59

( कहानियाँ )

बनती बिगड़ती, आँखों के कोनों में पलती
जाने कितनी ही कहानियाँ ।

कुछ अश्कों में बहती, कुछ पलकों पर ठहरती
जाने कितनी ही कहानियाँ ।

कुछ शोर मचाती, कुछ खामोश गुज़र जाती
जाने कितनी ही कहानियाँ ।

बनती बिगड़ती, आँखों के कोनों में पलती
न जाने कितनी ही कहानियाँ ॥

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18 JUN 2020 AT 13:58

पास ना होने की बात होती
तो बात कुछ और थी
ये बात तो है तेरे 'ना होने की'


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2 AUG 2019 AT 12:36

__"चाँद और दाग"__


चाँद देखने वालों को
चाँद का दाग नज़र न आए,
ये तो मुम्किन ही नहीं ।

पर सोचो गर दाग न होता,
तो चाँद कैसा होता ??

क्या तब भी उसकी कशिश के
लोग इतने ही दिवाने होते ?

वो ख़ूबसूरती भी क्या,
कि जिसमें दाग ही न हो ॥

आख़िर....बिना कमी के, ख़ूबियां भी किस काम की ॥

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9 JAN 2020 AT 19:49

मेरे जज़्बात मर रहे हैं, मेरे ही अंदर दफन हो रहे हैं
रूह से निकली हंसी लबों पे आके कफन हो रहे हैं ।

कोशिशें नामुकम्मल हुई दिल को बहलाने की
तसव्वुर-ए-बहार में ख़िजा के गुल सपन हो रहे हैं ॥

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10 FEB 2021 AT 23:25

लफ्ज़ जेहन में दफन पड़े अलफ़ाज़ों के पहरे से
कुछ बात रही है आधी और घाव बड़े हैं गहरे से

रुकी रुकी असीर सांसे बेसुध बिना तकल्लुम के
आजिज़ बैठी आस्ताँ पर अश्क़ पड़े हैं ठहरे से

दिल के खाली पन्नों पर बात हमें भी करनी है
कुछ राज हमें भी धरने पर बज़्म पड़े हैं बहरे से

सब किस्से वही पुराने हलावत बड़े हैं कड़वे से
कुछ बात रही है आधी और घाव बड़े हैं गहरे से

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