अनजान हूं मैं मंज़िल क्या है मेरी,
रास्ता मालूम है पर बढ़ने को डरता हूं।
डर है की कहीं फिर से ठोकर न खा लूं,
इसीलिए मंज़िल जान कर भी अनजान हूं मैं।-
21 AUG 2024 AT 1:02
12 JUN 2023 AT 9:45
मौसम बदल रहा है धीरे धीरे,
रुख बदल रही हवाएं धीरे धीरे।
चंचल मन आज फिर खिल उठा,
बचपना फिर छलक उठा धीरे धीरे।-
26 AUG 2024 AT 5:44
नाम नही एक पहचान ज़रूरी है,
एक अच्छा इंसान बनना ज़रूरी है।
पैसे तो गरीब भी कमा लेते है,
शोहरत नही पर दौलत कमाना ज़रूरी है।-
1 FEB 2023 AT 0:09
रोज़ सुबह सोचता हूं,
आज थोड़ा संभल जायेगा।
कल आ जाने पर,
वही सोच कर दिन गुज़र जाता है।
दिल क्यों जल्दी में रहता है?
यह आज तक समझ नही पाया मैं।
बच्चा है दिल शायद और थोड़ा नादान भी,
इसीलिए अभी दुनिया समझ नही पाया है यह।-
20 OCT 2024 AT 1:57
अनकही कहानियों के सहारे,
सफर पर अकेला चल पड़ा हूं।
कुछ कदम चलने के बाद,
अपने ही साए को ढूंढ रहा हूं।-