है एक नशा सा तुम,
जो खिचीं चली आती हूँ।
लाख कोशिश करती हूँ ,
तुमसे दूर जाने की ।
मगर नहीं जानती क्यों,
हर बार मैं हार जाती हूँ।-
10 MAY 2019 AT 15:00
है एक नशा सा तुम,
जो खिचीं चली आती हूँ।
लाख कोशिश करती हूँ ,
तुमसे दूर जाने की ।
मगर नहीं जानती क्यों,
हर बार मैं हार जाती हूँ।-