"अभि की दुल्हनियाँ"
कुछ साल बाद जब मांग पे सिंदूर आँखों में काजल माथे में टीका और लगाके आएगी चुनरियाँ।
देखके उसको दाँतों तले उंगली दबाएगी ये सारी की सारी दुनिया जब देखेगी अभि की दुल्हनियाँ।
जब वो बन जाएगी मेरी दुनिया और ज़्यादा आएगा मज़ा मोहब्बत का जब वो बन जायेगी मेरी दुल्हनियाँ।
मेरे अँगना में छनकाएगी वो पैजनियाँ सब बोलेंगे कि करोड़ो में एक है अभि की दुल्हनियाँ।
सारे दिन की तकलीफें मेरी हो जाएँगी दूर और दूर हो जाएँगी सारी दूरियाँ प्यार से एक बार जब हो जाएगा दीदार उसका जब दिख जाएँगी मुझको मेरी चन्दनियाँ।
हर दुख हर दर्द हो जाएंगे गायब और छूमंतर हो जायेगी हर परेशानियाँ जब तक साथ रहेगी मेरी दुल्हनियाँ।
साथ रहेंगे हरदम दोनों दूर रहेगी सारी दूरियाँ पाकर सबकी दुआएँ और प्यार हो जायेगा सुखी और सुंदर हम दोनों का संसार।
कभी न झगड़ेंगे दोनों बस बरसायेंगे एक दूजे पर प्यार।
सोच रहा हूँ जब आ जायेगी वो पास मेरे तब उड़ जाएंगी मेरी आँखों की निन्दिया बस यही सोच हो जाता हूँ खुश कि आज नही तो कल ज़रूर बनेगी वो अभि की दुल्हनियाँ। 'अbhi:एकतन्हामुसाफ़िर'-
"दोस्ती: दिल का रिश्ता"
बात जब दोस्ती की हुई हैं तो याद रखना ऐ दोस्त शिद्द्त की हद तक हम भी दोस्ती निभाएँगे
बस एक बार दिल से याद करकर तो देखना मौत के आगोश से भी निकल कर तेरा साथ देने ज़रूर आएँगे-
एक 'शायरा' को पढ़ने के लिए 'अभि'
एक 'शायर' का 'दिल' होना चाहिए।।
एक 'शायरा' को समझने के लिए एक
'आशिक़' का 'दिल' होना चाहिए।।-
"जब आप अपने बारे में 'अभि' कुछ भी नहीं बताते हैं"
"तब लोग आपके बारे में 'सब कुछ' जानना चाहते हैं"-
मोबाइल फोन उन दिनों लोगों का एक मात्र सहारा था वायरस के कारण। उसने देखा कि माता-पिता अपने बच्चों की शिकायत करने में लगे हुए हैं कि "सारा दिन बस मोबाइल और मोबाइल में ही लगे हुए रहते हैं। पता नहीं क्या होगा इन बच्चों का।
उसी दिन "अभि" ने अपने आपसे एक वादा किया कि आज के बाद जब भी अभिभावक अपने बच्चों को मोबाइल का इस्तेमाल करते हुए देखेंगे तो उनके मन में किसी भी प्रकार की शिकायत या संशय नहीं होगा अपितु एक गर्व होगा और वो लग गया।
उसके बाद उसने अपने प्रकाशन में युवाओं को एक-एक कर के जोड़ना प्रारंभ किया और आज का दिन है कि आज कम से कम दो सौ बच्चे तथा बच्चियाँ उसके प्रकाशन में मोबाइल से एडिटिंग, प्रूफरीडिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, फॉर्मेटींग, काउंसलिंग जैसे अद्भुत व आकर्षक कार्य करते हैं और अब कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को देखकर ये नहीं कहते हैं कि क्या दिन भर मोबाइल में लगा रहता है बल्कि माता-पिता आकर आदरपूर्वक पूछते हैं कि बेटे आपने खाना खाया या चाय-कॉफी कुछ लोगे?
ये सम्मान और आदरभाव आज मोबाइल फोन के द्वारा ही सभी बच्चों को प्राप्त हुआ है, वहीं पर कई गृहस्वामिनियों को मोबाइल फोन के माध्यम से ही दोबारा अपने लेखन कार्य को प्रारंभ करने का सुअवसर प्राप्त हुआ और साथ ही साथ आज तक वो कम से कम 2,000 से ज्यादा पुस्तकों का प्रकाशन और लाखों प्रतियों का मुद्रण कर चुका है। पता है वो कौन है? वो है......-
सुनो जब मैं ख़ुद से हार जाऊँगा न तो
तुम मुझे जीत का सेहरा पहनाने आना।1।
जब मैं इस सारे जहाँ से रूठ जाऊँगा
न तब मुझे बड़े प्यार से मनाने आना।2।
जब मैं तपती दुपहरी में झुलसने लगूँगा न
तब तुम मुझे बन कर के हवा सहलाना।3।
जब मैं तेरी एक झलक को तड़प जाऊँगा
न तब तुम आकर चाँद में दिख जाना।4।
जब मैं ख़ुद से भी ज़्यादा तुमको ख़ुद में
पाऊँगा न तब तुम आकर मेरी हो जाना।5।
जब मैं सबसे रिश्ता तोड़ जाऊँगा न तब
तुम मेरी एक पुकार में हक़ीक़त बन आना।6।
जब कभी न जाने के लिए आ जाओ न
तब कभी भी भूल से भी तुम मत जाना।7।
सुनो! अब न दर्द बड़ा दर्द देता है मुझको, तुम
आकर के मेरे हर मर्ज की मरहम बन जाना।8।-
'क़त्ल' कर के 'अभि' मेरा वो 'संगदिल' बेरुख
'क़ातिल' भी कमबख्त खून के आँसूं रोया होगा।1।
मेरे गुज़र जाने के बाद जरूर हुआ होगा उसे इस बात
का एहसास कि उसने अनजाने में क्या खोया होगा।2।
'करवट' बदल-बदल कर ही बीती होगी ए दोस्त!
रात उस हरजाई की, उस रात वो कहाँ सोया होगा।3।
'मिटते' ही नही होंगें 'खून' के 'निशान' मेरे, बड़ी ही
'मशक्कत' के बाद उसने उन धब्बों को धोया होगा।4।
रुकता नही होगा उसकी आँखों का पानी 'अभि' यकीनन
उसने अपने तकियों को कई दफ़ा भिंगोया होगा।5।
जताता नहीं होगा वो 'हाल ए दिल अपना' लेकिन कमरे
के कोने में मेरे होने के एहसास को उसने संजोया होगा।6।
जानता है वो कि जा चुका हूँ मैं लेकिन फ़िर किसी रोज
भूल से ही मेरे लौट आने के सवाल को पिरोया होगा।7।
दुःखता होगा 'दिल' उस 'पत्थर' का भी जब आकर
मजार पर मेरे उसे मेरे नाम के साथ जोड़ा गया होगा।8।
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"हम कैसे मना लें जश्न और कह दें
कि नया साल आ गया है 'अभि'"।।
"हम तो आज भी वहीं हैं जो कल थे
दरअसल हम बदले ही नहीं कभी"।।-