#इमदाद_और_जिंदगी
काश थोड़ी बरसात यहां भी हो जाती,
धरती सूख कर सख्त हो चुकी है,
कुछ गीलेपन की इमदाद यहां भी हो जाती,
लोग प्यासे पत्थर हो चले,
जज्बात गुमसुम गुम हो गए,
काश बारिश हो, बाढ़ आ जाए,
सब बह जाएं,ये गम,नफरतें,शिकायतें
केवल रह जाए रेत की ओट से झांकती जिंदगी
नन्हे फूल जिन्हे सिर्फ आता है मुस्कुराना,
और खिल जाएं वो चमकीली आंखे,
जो कहीं डर कर छुपी हुई हैं।
#नई_स्याही #ज्योतिर्मय_रचित
#05/05/2021
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5 MAY 2021 AT 14:36