Jyotir May   (ज्योतिर्मय)
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Joined 14 January 2017


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21 APR AT 15:18

मेरी समझ से,ये दुनिया विचित्र है
ईमान से चलने वाला,बेचैन चरित्र है
सीधे ,सरल को हमेशा हिदायत हैं
चतुर बेशर्मी से बाज आते कहां हैं
ईमानदार भुगतान करते रह जाते
और बेईमान पनपते बढ़ते जाते
शायद एकतरफा हो, ये नजरिया
पर मेरी निगाह ऐसी दिखाए दुनिया।

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21 APR AT 14:37

सादगी भरा जीवन,ही शायद अच्छा होता है
लोग ख्वाब की लिस्ट लिए,जीवन गुजार देते हैं
जीवन की दौड़ में,खोया पाया हिसाब करते हैं
हम जो मिल गया,उसी में सुकून इजहार करते हैं।

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20 APR AT 22:07

एक तरफ तो तुम कहते हो
मुझसे कोई वास्ता नहीं,
मेरी तरफ देखते क्यूं हो,
जब कोई राब्ता नही
जिंदगी में सब यूं ही नही होता
रब का लिखा है होता
कुछ लोग कभी नहीं मिलते
और कुछ मिलते,अपने हो जाते।

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20 APR AT 21:57

#कुछ_काम_अधूरे_हैं
कुछ काम अधूरे हैं,कुछ सपने बाकी हैं
इस जन्म का क्या कहो,शायद दूसरे में पूरे हो
कुछ रह गया सा है,जीवन नीरस सा है
गर दिल की सुनते,कुछ बड़ा बनते
दूसरों की सुनते रहे, रास्ते,बदलते गए
दिशाएं बुलाती रहीं,हम भटकते,रास्ते पूछते रहे
आज लगता है काश,रुके होते,अंजाम और होता
रूतबा,जज्बा,हौसला होता,समझौते न होते
मंजिल अपनी होती,मुक्कमल कहानी होती।
#नई_स्याही

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20 APR AT 18:46

यही बुराई है मुझमें,की भूल जाता हूं फिकर
बुरा वक्त, सपना सब,समय का चक्कर
अच्छा करना नियत,मिलेगा ही मुक्कदर
क्या करना हिसाब,बस इंसान होने का फखर।

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19 APR AT 9:53

पहला कदम मजबूती से रख,अपना वजूद बनाना है
खुदी का खुद से राब्ता कर, अपना नाम कमाना है
दुनिया में आए,तो सब्र कर,मिलेगा मुकद्दर हमारा है
कुछ खुशी बांटते चलिए, गम तो जीने का बहाना है
इंसानियत बड़ी है,दुनिया में इंसान बनके दिखाना है।

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18 APR AT 17:56

#एक_नन्हा_पौधा
बहुत अपना लगा ,वो नन्हा पौधा
जो उगा बगैर खाद ,पानी, मेरे आंगन
पहले जिसे मैंने चाहा ही नहीं,देखा नहीं
फिर जब फूल लहलहाए,पत्ते बौराये
मन बोला,ये खरपतवार ही सही
पर लाया खुशी,मन को भाया
वो आंगन,बेरंग कोना हुआ रंगीन,
पंखुड़ी मुस्काई,तितली आई
ओस लगी सहलाने, जमींन मुस्काई
नए ख्याल,नए इरादे,नए किनारे
इस चितेरे ने भरे रंग,सूने जीवन में
बचाया अस्तित्व,धूल में खोने से।
#नई_स्याही

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18 APR AT 17:51

जिंदगी को लिख रहे हैं
हम जीना सीख रहे हैं
यूं तो बहुत है किताबों में
हम किताब लिख रहे हैं
शायद सीख जाएं जीना
सीख जाएं जहर पीना
पता हो तो बताना तरीका
सीख जाएं जीने का सलीका।

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16 APR AT 9:55

मनुष्य की पहचान ,शिष्टाचार और
विनम्रतापूर्ण आचार व्यवहार से होती है

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16 APR AT 9:52

To start living as a human
and maintaining a cordial
relationship with nature.

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