QUOTES ON #आशा_अमन_की

#आशा_अमन_की quotes

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4 JUL 2020 AT 10:18

बदल के हमे उसने इरादा बदल दिया
पहुँचा किनारे तो किनारा बदल दिया ।

पहले लगा हमारा सितारा बदल दिया
इस नाचीज़ का आसमान सारा बदल दिया ।

कभी गुंजता था नाम हमारा गलियों में उनकी
हालात बदलते ही उसने नारा बदल दिया ।

आज देखा उसे किसी को ‌बुलाते हुए
और तो कुछ नही बदला बस इशारा बदल दिया ।

ये तो वही बात हो गई जनाब
के "खत लिखना" बोल के किसी ने ठिकाना बदल दिया ।

"बदलते ज़माने के के साथ बदलना चाहिए"
यही बोल के दस्तूर पुराना बदल दिया ।

ये क्या बात हुई "अमन" के महज़ वक्त बिताने
उस कमबख्त ने वक्त हमारा बदल दिया ।

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6 JUL 2020 AT 12:30

छोड़ने आया था वो किवाड़ तक
थी उसकी मरज़ी बस खिलवाड़ तक ।

नदी को ही रहा वफ़ादार वो पत्थर
जबतलक नही पहुँचा पहाड़ तक ।

"जंगल मे बनाया है घर" कहता था
ना उसके शहर मे भी मिला हमें एक जाड़ तक ।

सबकुछ ले लिया मेरा "अमन"
नहीं छोड़ा उसने कबाड़ तक ।

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2 JUL 2020 AT 23:34

इस से ज्यादा कोई किसी का क्या होगा ?
के उन्हें पढ़ने का शौख़ है और हमे लिखने का ।

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2 JUL 2020 AT 20:57

आज अचानक एक खयाल आया
क्यूँ न पहले कभी ये सवाल आया?

बेबसी मे किसी का छोड़ना काया
किस हिसाब से "ख़ुदकुशी" कहलाया ?

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1 JUL 2020 AT 19:26

शिकायत जायज़ थी कुछ चेहरों की
क्यूँ हमने खुद को सबसे दूर कर दिया ?

पहचान खोने की कगार पे खड़ा था "अमन"
और किसी के इश्क ने मशहूर कर दिया ।

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23 JUL 2020 AT 20:51

अक्सर साथ मे दिखते थे दोनों
कभी कागज तन्हा दिखा नही ।

ज़ीद्दी थी कागज की तरह
अकेले जीना कलम ने भी सिखा नही ।

उनके दरमियान कुछ हुआ एक दिन
खामोश थी कलम, कागज भी चीखा नही ।

जारी है कागज-कलम का शीतयुद्ध
बहोत दिन हो गए हमने भी कुछ लिखा नहीं ।


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3 JUL 2020 AT 12:56

बहस अभिव्यक्ति पे थी और हमसे निकल गया
"जाओ करो वही जो तुम्हारी मर्जी है"।

निशब्द कर दिया उसने मुझे ये कहकर
"अकेले मे आँसू बहाना भी ख़ुदगर्ज़ी है"।

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2 JUL 2020 AT 18:42

इज़हार-ए-इश्क का जवाब आया है
"उसकी फितरत दिल तोड़ने वाली" है ।

"पत्थर" कहा है खुद को उसने
और अपनी नजरें चुरा ली है ।

"फिर तो देर हो गई " हमने कहा
हमने तुम्हें मंजिल बना ली है ।

वाकिफ नहीं हमारी शिद्दत से तुम अभी
हमने "पत्थरों" मैं भी जान डाली है ।

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1 JUL 2020 AT 23:45

तसल्ली है की मोहब्बत कहा उसने इस रिश्ते को
वरना सीखाते इश्क फुरसत से उनके फरिश्ते को ।

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8 MAR 2022 AT 20:34




यही हो कबसे और यहाँ नहीं भी हो
मसला क्या है किस सोच में गुम हो ।

मैं तुम मैं रहूँ ना रहूँ
मेरे ख़्वाबों ख़यालात में तुम हो ॥

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