दुकानों में अक्सर "आज नगद कल उधार " का बोर्ड दिख जाते,
अपने उलझनों को मर्यादित कर जाते,
अनेक संभावनाओं को जन्म से पहले दफ़न कर जाते,
अनुशासित व्यवसाय का परचम लहरा जाते।
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" आज नगद कल उधार "
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मोल भाव का कोई गुंजाइश नहीं,
आपसी नोक झोंक का कोई आजमाईश नहीं,
ग्राहक खरीदारी कर पर्ची कटवा जाते,
अनुशासित व्यवसाय का परचम लहरा जाते।
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" आज नगद कल उधार "
बोर्ड को प्रवेश द्वार पर प्रदर्शित करते,
ग्राहक बोर्ड पढ़कर प्रवेश करते,
ग्राहक सहमते हुए खरीदारी कर भुगतान का ठप्पा लगा जाते,
अनुशासित व्यवसाय का परचम लहरा जाते।-
" आज नगद कल उधार "
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व्यापारी की चतुराई एक बोर्ड तक सिमित नहीं रहता,
कहीं "एक दाम" का बोर्ड रहता,
कहीं "उधार प्रेम की कैंची" का
बोर्ड दिखाई परता,
सारा घटनाक्रम ग्राहक को दिग्भ्रमित कर जाते,
अनुशासित व्यवसाय का परचम लहरा जाते।-
आज नगद कल उधार
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जिंदगी भी उधार पर नहीं चल सकता,
आजका काम कल पर छोड़ा नहीं जा सकता,
अपने आप अनुशासित किया जा सकता,
तभी जिंदगी का परचम लहराया जा सकता ।-
दुकानों में अक्सर "आज नगद कल उधार " का बोर्ड दिख जाते,
अपने उलझनों को मर्यादित कर जाते,
अनेक संभावनाओं को जन्म से पहले दफ़न कर जाते,
अनुशासित व्यवसाय का परचम लहरा जाते।
( FULL POETRY IN CAPTION )-