QUOTES ON #अज़ीम_THE_CYBER_POET

#अज़ीम_the_cyber_poet quotes

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18 JAN 2020 AT 11:56

मेरे मुल्क का तब से बुरा हाल हुआ है ,
जब से मुल्क के लोगों के लिए...


खुदा हाफ़िज़ से अल्लाह हाफ़िज़
और
जय सियाराम से जय श्री राम हुआ है...

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1 JAN 2020 AT 11:58

उम्मीद की पोटली में, साल की खुशबू लाया हूं;
खुशी के काजू,
मोहब्बत के पिस्ते,
मासूमियत की किशमिश लाया हूं;
मैं वही सौदागर हूं,
फ़िर से दोस्ती का सौदा लाया हूं...

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9 APR 2020 AT 9:10

बहुत बड़ा सा अस्पताल बन जाता,
उस ज़मीन पर...
बहुत लोगों का इलाज हो जाता,
उस ज़मीन पर...

लेकिन
उन्हें तो मंदिर या मस्जिद ही चाहिए था,

उस ज़मीन पर....

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15 JAN 2020 AT 13:28

चलो रिश्ते की उलझी डोर को खोले हम...

जो है बना गलत फ़हमी के तिल का पहाड़,
और लाया है दूरी दरमियान हमारे...
उस में मोहब्बत का गुड़ मिला कर,
कुछ मीठा बोले हम...
चलो रिश्ते की उलझी डोर को खोले हम...

पकड़े सिरा दोस्ती की पतंग का,
और दे उड़ान यक़ीन को,
सपनो को साथ रख कर,
अपनो से पेंच लड़ाए हम...
चलो रिश्ते की उलझी डोर को खोले हम...

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28 APR 2020 AT 8:49

हर रोज़ सुबह,
अखबार में देख रहा हूँ एक ख़बर...
कितने लोग हुए फ़ना, और कितने बेघर...

ये सोच कर जी घबरा रहा है,
इंसानियत का चेहरा बदल रहा है,
लालच और नफ़रत की धूल जो बैठी थी,

इस वाइरस ने धो दिए चेहरे सब के...

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29 DEC 2019 AT 14:37

साल बदल जाएगा,
सवाल बदल जाएगा.
है उम्मीद हालत-ओ-हाल बदल जाएगा.
वजूद बदल जाएगा,
ख्याल बदल जाएगा.
माज़ी में दर्ज़ दर्द बदले न पाएगा,
इमरोज़ सँभल गया तो,
मुस्तकबिल शयाद बदल जाएगा.
समाँ-ए-गम, खुशी के पल में बदल जाएगा.
जब,
साल बदल जाएगा.
तब,
सवाल बदल जाएगा.

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7 FEB 2020 AT 14:37

दिल ये गुलाब सा;
है ये बस आपका...

है सवाल ये मगर,
क्या ख्याल है आपका?
रख लिया नज़र में बन्द,
एक हसीन ख्वाब सा...

दिल है जो आपका...
वो अब है मेरे पास सा...

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17 APR 2020 AT 9:12

अपनी मौत का इंतजार कर रहे हैं अब,
ज़िन्दा है इसलिए रोज़ मर रहे हैं अब..
गम न रख रुख़सती का "अज़ीम"
जो मांग रहे थे तेरी ज़िन्दगी खुदा से;
तेरी लम्बी उम्र की दुआ से डर रहे हैं अब...

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27 MAR 2020 AT 7:56

न मौत से डर है, न ज़िन्दगी की चाह है...

इंसानियत मज़हब है...
मोहब्बत की राह है...

कोई नहीं समझ सकता...
इन हालातो में...
सफ़ेदपोशो ने क्या क्या सहा है...

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7 FEB 2020 AT 14:46

वादे गुलाब से थे ज़िन्दगी के;
हाथ छिल गए हैं कान्टो से...

सुफ़ेद सा ये गुलाब,
सुर्ख हो चला है मेरे लहू से...

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