बिटिया एक अलविदा तुमको मेरा भी
तुम कौन थी नहीं मालूम
आज से पहले नहीं देखा था तुम्हें
नहीं मालूम तुम कहाँ रहती थी
मालूम फ़क़त इतना है
तुम चिर्रैया थी , उड़ती रहती थी
नन्हीं , तुम आज बहोत भारी हो गयी हो
ये जिस तरह से तुम ख़ुदा को प्यारी हो गयी हो
माफ़ करना मैं तुम्हारे जनाज़े में नही आ सका
माफ करना लाड़ो मैं तुम्हें नहीं बचा सका
पहले तुमको पिंजरे में डाला
फ़िर पर काटे
तसल्ली इस से भी ना हुई
तो फ़िर रूह गोदी गयी
वो जिस जिस ने उधेड़ा तुमको
वो जिस जिस को देखा तुमने
बताना ख़ुदा को वो जो भी दरिंदा है
माफ़ करना बिटिया , मैं कुछ न कर सका
आज मेरा पुरूषार्थ शर्मिंदा है
लाड़ो तुम वहाँ ख़ुश रहना
हम तुम्हारे लायक नहीं
ये हैवानियत देख कर तो कांप रहा अंधेरा भी
बिटिया एक अलविदा तुमको मेरा भी |
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