माना,
कई दर्द दफन हैं सीने में
पर अलग ही मजा है,
खुश रहकर जीने में,,,,-
कभी-कभी अपने ही बातों में विरोधाभास लगता है मुझे
शायद मैं कुछ ज्यादा ही सोचने लगता हूं,,,,-
"गुज़र रही जिंदगी बस इस इंतजार में
कभी पढ़ लेंगे हम भी
जिंदगी की किताब को,,,,
-
"ढेरों पुल बनाए उन्होंने झूठ के बल पर,
पर सच की बारिश में कोई टिक ना सका,,,,-
"आया है तूफान यहां
पर मानसून की याद दिला रहा
अस्त-व्यस्त जनजीवन को
लग रहा पटरी पर ला रहा
डरे सहमे से लोग यहां घरों में कैद है ऐसे
मानो जानवर पिजड़े में पड़ा हो जैसे
अपनी ख़ैरियत अब वह खुद अपना रहे
घर से बाहर जाने से भी कतरा रहें
आशा की एक किरण यहां अब काफी है
उम्मीद अभी बाकी है,,,,-
सच्चा मित्र मेरा समय ही हो पाया
मौके मौके पर उसने मुझे
कौन अपना है कौन पराया
बताया-
"मित्र मानते हैं तुम्हें
शत्रु ना समझो हमें
फिक्र है तुम्हारी
बात समझो हमारी
सही-ग़लत बता रहे
तुम्हारी भलाई चाह रहे,,,,-
रह जाती है
कुछ कमियां
अपने ही अंदर,
शायद हम
दूसरों को
गलत समझते हैं-