सकून और मुस्कान का अब वो दौर नहीं है,
ये इंदौर अब वो इंदौर नहीं है।
बिलावली के पानी में बाहर की मछलियां आ गई है जब से,
किनारों से बू आने लगी है तब से।
कुछ कबूतर उड़ कर कांच मंदिर को गन्दा कर रहे है।
56 और राजवाड़े की शान को धूमिल कर रहे है।
वक़्त है अब अपने घर को बचाने का।
अपने शहर को बचाने का।
मासूमियत और सकून के उस दौर को फिर लाएंगे।
हम इंदौरी, फ़िर वही इंदौर बसाएंगे।-
When I write a poem for you;
It is always as fresh as dew.
No mixing of worldly thoughts;
Nothing bad of that sorts.
It is just an expression of words;
Words, that can explain to you.
How much it is true;
I bow down and thank you.
For you have taught me a lot;
From what I am, and what I've got.
My friend,Hadn't you ever been here;
I would have been nothing, No where.-
मैं कब कहता हूँ वो अच्छा बहुत है,
मगर उसने मुझे चाहा बहुत है।
खुदा इस शहर को महफ़ूज़ रखे,
ये बच्चो की तरह हँसता बहुत है।
मैं हर लम्हे मे सदियाँ देखता हूँ,
तुम्हारे साथ एक लम्हा बहुत है।
मेरा दिल बारिशों मे फूल जैसा,
ये बच्चा रात मे रोता बहुत है।
वो अब लाखों दिलो से खेलता है,
मुझे पहचान ले, इतना बहुत है।-
तू हवा होगा, वो इस सरज़मीन में दफन है,
तेरी मोहब्बत इस मिट्टी से ज़रा सी कम है।-
हर किसी के जीवन में दर्द ही एक साथी है,
छोटे बड़े ये पल खुद में हीरोशिमा- नागासाकी है।-
जब बच्चे भूखे न सोए और तालीम हासिल कर कुछ बन जाए,
जब लोगों की रोज़ी रोटी, घर के पास ही हो जाए।
जब औरतों की अस्मत पर कोई आँच न आए पाए।
और हर इंसान को हर नज़र में सिर्फ़ इंसान समझा जाए।
जब भारत का संविधान, हर ग्रंथ से ऊंचा माना जाए।
जब मन में बैठे हर रावण को हम मार पाए।
तब ही तो इस ज़मीन पर राम राज्य बन पाए।-
Never shall you treat anyone,
like a rug tag on the route,
to wipe your filthy boots,
and travel ahead away.
Cause, if the rug tag is no more,
then the world will see the floor,
the filth that you brought,
and dirt you got, on your boots and more.
Never shall you lessen the worth of the rug tag,
cause it will clear thy way,
or the marks of your filth,
are forever to stay.-
एक चांद रख सिरहाने तेरे,
इश्क़ की लौ मैं जलाता हूं।
तोड़ के ज़ंजीरों सी दुनियादारी,
तेरे ख़्वाब सजाता हूं।
मैं तेरी मोहब्बत में, तुझ जैसा बन जाता हूं।-
यूं भी अब कोई खास वजह नहीं है जीने की।
जो देखे थे, वो ख़्वाब सब टूट के चूर हो गए,
जो अपने थे, वो पास से दूर हो गए।
तो क्यों न मौत को ही अपना साथी बना लेते है,
यही तो एक सच्चा रिश्ता है ज़िन्दगी से,
इसी को निभा लेते है।
चलो मर जाते है।-
आंख मेरी भरी थी, बरस बादल रहे थे।
तुम चुप खड़ी थी, लफ़्ज़ बोल रहे थे।
दरिया-ए-माज़ी में डूबे लम्हें, मुस्तकबिल खोज रहे थे।-