तेरे सपनों की उड़ान में,
ख़ुद के सपने भूल गयी,
तुझे अर्श पर चढ़ाने को,
ख़ुद का फर्श भूल गयी।
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कितने अनोखे होते हैं रिश्ते,
जिसको भरपूर मिला,
उसे कद्र नहीं,
जिसने भरपूर दिया,
उसकी कद्र नहीं।-
ढूंढते हुए मंजिलों के निशां,
हम सफ़र करना भूल गये,
जीना किसको कहते हैं,
हम तो मरना भी भूल गये।-
तितली तेरे प्रेम की,
उंगलियाँ छू गयी
जब से, रंग उसके
पंखों का पोरों में
गहरा उतर गया,
लाख छूटालूँ इसे,
और गहरा जाता है,
रंग मेरे प्रेम का
मिल इसमें नया
रंग बनाता है।
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मेरी देह की मिट्टी से,
जब जब एक बुत
बनाया जायेगा वो
तेरा होगा और प्रेम
उसमें प्राण फूंक देगा
झूठ मत समझ इसे
चाहे तो आज़मा ले।-
बना लो अंजुमन पे,
नशेमन अपना,
छोड़ दो ढीली लगाम,
सोच के घोड़ों की,
दौड़ने दो बेतहाशा,
जिस ओर भी जाना चाहें,
बड़ी कर लो तुम नज़र अपनी।
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शब्दों की सीमा से परे है,
जो तेरे मेरे बीच कड़ी है,
कहकशाँ से भी आगे,
समंदर से भी गहरी,
ये जो परिधि है, अनंत
अपरिभाषित प्रकृति है।-
चमक गया है घिस घिस के सफ़ीना-ए-बदन मेरा
आ अक्स देख तू रूह का और तराश ले।-
हँसने में है मज़ा,
गम भी हो जाएँगे हल्के,
कट जाएँगे सब मुश्किल रस्ते,
तो हँसों मुस्कुराओ,
जिंदगी को हसीं बनाओ।-