ज़िन्दगी अधूरी है
जो अग़र आपने गौ सेवा ना किया हो-
बात यूँ तो बड़ी साधारण सी है
हाँ ये कहानी नील आकाश और नीले साग़र की है
सुर्य की किरण में दोनो के रंग बड़े ही चमकते
निले साग़र और नीले अम्बर के रंग बहुत खूब दमकते
रँग दोनों के एक हैं पर कार्य पूर्णतः भिन्न
एक जल तो दूजा आकाश और दिखाते एकदूजे को प्रतिबिंब
दोनो ही किसी से कम नहीं न बाज वो आते न बाज ये आते
आकाश धूप की गर्मी से मेघ बनाते तो साग़र मेघों की कड़वाहट से जल वापस पाते
पर इन दोनों के ही मध्य अथा प्रेम सम्बन्ध है जो कभी न टूटे वैसा संगम है
साग़र आकाश को देखे बिना ना रहे तो आकाश साग़र के बगैर सांस ना ले वैसा बन्धन है
हाँ परम सत्य ये भी है दोनों ही पँच महाभूतों के महत्वपूर्ण भाग हैं
एक में समाया "अमृत" तो दूजा अमृत पान से अजर "अमर" है-
जिनके एक मुस्कान पटल में सोलह श्रृंगार सजती सँवरती उनके सूरत में क्या बात है
देख फलीभूत ये सृष्टि की हँसी फूलों सा हँसना मानो मिलती सबको जीने की नई आस है
वो हँस कर मोहे सबका मन सलोनी नज़रों की क्या बात है
मासूम सी भोली उनकी प्यारी मुस्कान जैसे चौदहवीं का वो चाँद है
श्रेयष्कर है जब उनका यूँही मुस्कुराना ग़र हँस दे तो क्या बात है
सभी दुःखों का हनन हो ऐसे जैसे सुखों का अबतो बिन बादल बरसात है
रूपवान रूपवती भी उनके काया से प्रेरित जानलो उनके भस्म की क्या बात है
सहस्त्र श्रृंगार एक तरफ़ और बिभूति में दमकता वो भोला बदन जैसे सामने बैठा पूरा संसार है
उनका हर शब्द गहन चिंतन करता मनमोहक प्यारे भोले की पूरी बात में के क्या बात है
उनके हर दिव्य बातों में छिपा सृष्टि का सार जैसे हर शब्द में बसा अमर जीवन का वरदान है-
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आप मुझमें कुछ ऐसे बसी हो
चाय में मिठास के लिए
जैसे चीनी घुली हो
अदरख सा मेरा रंग
आप चीनी सी सफेद हो
आपके होठों की मुस्कान कुछ ऐसी
जैसे चाय में गज़ब की स्वाद घुली हो
आप मुझमें कुछ ऐसे बसी हो
चाय में मिठास के लिए
मेरी जान, जैसे चीनी घुली हो
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बड़ा विचलित हूँ
समझ ही नही पा रहा मैं क्या करूँ
चलिए आपसबों को इसका कारण बताता हूँ
"अनुशिर्षक अवश्य पढ़े"..-
उसने कहा
बरसात बहोत पसंद है मुझे
मैंने कहा
हाँ देखा है तरसती आँखों में
उसने कहा
शिकायतें कई हैं तुमसे
मैंने कहा
सुना है तुम्हारी अनकही भोली बातों में
उसने कहा
तुम्हारी यादें रुलाती हैं मुझे
मैंने कहा
जब मिलूँ भर लेना कस कर बाहों में
उसने कहा
मुझे प्यार बहोत है तुमसे
मैंने कहा
जान निसार है तुम्हारी प्यारी बातों में-
जैसे लिपट जाता है वो सागर से दरिया
किसी ने इश्क़ कहा दिल ने तुम्हारा नाम कह दिया-
तारों सी चमक है, तुम्हारी ख़ूबसूरत इन आँखों में
सच कहता हूँ, हाँ बस गई हो तुम मेरी आँखों में
दिल में धड़कन सी, बजती हो मेरे हर वक़्त
पीहू पीहू बोल कर, गूँजती रहती हो मेरी कानों में
ख़्वाबों में जिसे देखा था कभी, मेरी वही परी हो तुम
उन सपनों से निकल आओ, अब आ भी जाओ मेरी बाहों में
तुम्हारी आँखों से अधिक, तुम्हारी नाक का मैं दीवाना हूँ
दिल करता है इन्हें चुम लूँ, और बहता रहूँ तुम्हारी साँसों में
मुस्कान है तुम्हारी सबसे सुंदर, मन मोहक तुम्हारी भोली बातें
तेरी भोली सूरत मैं जब भी देखूँ, डूब जाता हूँ तुम्हारी आँखों में
वो मिठू मिठू कह कर, तुम्हारा हँस कर मुझसे बात करना
फ़िर इठला कर ग़ुस्साति हो, न जाने क्यूँ मेरी हर बात में
दिल लगता नहीं तुझ बिन कहीं, फिर ना रूठना तुम कभी मुझसे
देखो ज़रा मान भी जाओ, अब हँस भी दो फ़िर चाहत भरी मुस्कान में-
रहा नहीं जाता अब तुझ बिन कहीं
हाँ बुला ले मुझे अब दर पे तेरे
बहुत दुःखाया है दिल की सर झुकाए खड़ा हूँ मैं
हाँ तेरी चरणों की धूल में अब मिला दे मुझे
बरसा कर प्यार मुझे कर दे मालामाल
हाँ दरश दिखा कर अब नैनों को सुकून दे मेरे
सर को ठंडक नहीं मिलती किसी भी दर पर
हाँ एक एहसान कर अब आँचल तले छुपा ले मुझे
बड़ी कृपा होगी कि है बड़ी दयावान तू मेरी मैया
हाँ शरण में लेले अब "अमर" को तेरे-
खुशियों के आंगन में सुगन्धित फूल हैं सजे हुए
बहार है खुशनुमा चकाचौंध रौशनी से भरे हुए
मुझे ख़ुश देख अब यूँ "ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी"
जैसे चारों तरफ छा गई है वो इत्र सी महकते हुए-