ज़िन्दगी जीने के क्या मायने है,
अपने किरदार में झाकिए साहब!
यहां हर चेहरे आइने है।
तुम भागते हो खुद की परछाई से,
हो जाओगे रूबरू जल्द ही,
खुद की सच्चाई से।
यहां हर शक्स गलत है ,
किसी ना किसी की नज़र में,
सदियां बीत जाएंगी यूहीं सबर में।
खुद पे गौर कीजिए जनाब!
कब तक झांकोगे,
दूसरों के सराए में।
हर बशर राज छुपाए बैठा है,
चेहरे पे चेहरे लगाए बैठा है,
अपनी पहचान खो कर,
दूसरों की अपनाए बैठा है।
ऐसे जीवन के क्या मायने है,
अपने किरदार में झाकिए साहब!
यहां हर चेहरे आइने है।
डॉ.प्रियंका यादव
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