कुर्सी के चारों पैर रहे सलामत
सो लोकतंत्र का पैर मोड़ दिया
सरोवर का पानी बेचकर तुमने
खिला कमल आज मरोड़ दिया
जिन हाथो ने बटन दबाया था
उन हाथो का साथ छोड़ दिया
सबका साथ सबका विकास के पीछे
सबका घर सबका सपना तोड़ दिया
#NationalUnemploymentDay-
मेरी हर पूजा में माँ बसती है,
माँ के चरणों में गंगा रहती है।
माँ तू जब रूठे खाली लगता है,
सारा जग रूठे ऐसा लगता है।।-
||दोहा||
रह गए कम दहेज़ में, केवल पैसे चार।
बेटी का विवाह रुका, बाप हुआ लाचार।।-
भला कैसे 'न' कहता मैं,
लगी थी खूब बिंदी में।
रची थी हाथ में मेहंदी,
लिखा था नाम हिंदी में।-
।तंत्री छन्द।
पायल छनछन, चूड़ी खनखन,
बजे संग, में झुमके झनझन
तेरी हर धुन, पर मेरा मन,
करे नृत्य, जैसे मोर मगन
तू और पास, जो आती है,
चार गुनी, हो जाती धड़कन
तू हाथ अगर, बस छू ले भर,
अंग अंग, करता पागलपन-
-:एक मतला, एक शेर:-
दिख जाते है वो, जो जमीन में रहते हैं
मेरे चाहने वाले आधे, आस्तीन में रहते हैं
कोई राज़ बताकर , जब मैं सो जाता हूं
बाहों से जेबों तक, छान बीन में रहते हैं-
हरेक दिल दुखी मिला, जिसे जब पढ़ा है,
सभी को अपना लगे, दुख वही बड़ा है।
माँ के नेत्र से यदा, नेत्र-जल बहा है,
सबसे बड़ा दुख यही, युगों से रहा है।।-
द्रुतविलम्बित छन्द-
मन नहीं लगता, अबकी पिया,
नयन भीगे है गम में पिया।
अधर व्याकुल हैं कब से पिया,
बरस सावन-सा मुझपे पिया।।-
बह्र/मीटर- 2 1 2 2 1 2 2 1 2 2 1 2
यूँ मिरे हाल पर तुम हँसोगे भला?
एक दिन तोह तुम भी मरोगे भला।
गर मैं लिखदूँ गज़ल तेरे जिस्मो निशां,
फिर मिरे शेर पर दाद दोंगे भला?
पूछती है गली गाँव की ये बता,
वोट के बाद तुम क्या दिखोगे भला?
ये सियासी फ़साने हमें ना पता,
गम हमारा बताओ पियोगे भला?
इश्क़ में कुछ नहीं इल्तिजा यार बस,
दो कदम साथ मेरे चलोगे भला?
सारि दुनिया मुझे इश्क़ करने लगी,
तुम मिरे राज़ किस्से कहोगें भला?
शाम होते शुरू फिर वहीं सिलसिला,
हाथ चूल्हें पर जलने लगेंगे भला।-
हिमालय से कुमारी तक, मिली जो आज आज़ादी।
कहीं पर माँग सूनी तो, मिटी थी हाथ की मेहंदी।
लड़ी मिलके कई टोली, लड़ी मिलके कई बोली।
बचाने हिन्द की बिंदी, लड़ी थी खूब माँ हिंदी।-