गुस्ताखी मेरी ज़रा माफ़ करना,
मेरे बदलने की अास में,
अपनी ज़िन्दगी मत बरबाद करना ||-
ये मेरे इश्क की शराफत हैं जो मेरे होंठों पर नज़र अाती हैं,
जो शराफत ना होती,
तुम्हारें होंठों पर नज़र आती ||-
ना कहना फिर कि सांस हूँ तुम्हारी
यूँ पल पल का भर कर छोड़ देना
फितरत बन गयी है तुम्हारी ||-
इन ठंड हवाओं के बीच
रजाईयां तो निकाल ली हैं,
सोतेे मगर अब भी,
गीले खतों के बीच हैं ||-
मैं जीत हूँ दुनिया की नज़रो में,
अपने में हूँ हारी हुई बाज़ी
उसने क्या छोड़ा हमे,
बन बैठी हूँ अपनी ही काज़ी ||-
कुछ देर से समझे....
वो पत्ते टूटे ही उड़ने के लिए है
तो फिर हम तो इंसान है ||-
ना मिट्टी बना कर एे महबूब मेरी बाहों में,
तेरे दूर चले जाने से मुझे खौफ़ अाता हैं ||-
कुछ लिखा मैने,
और कुछ गम मनाया,
तेरे जाने वाली शाम को,
साथी एक और बनाया ||-
चुप हूँ मै, पर कुछ लिखती हूँ
लिखती उतना नहीं, जितना कि कहती हूँ,
कि देख तुने जो की थी बेवफ़ाई,
तेरे जाने के बाद भी
किस कदर मेरे काम अाई ||-
ये साल सिर्फ 'काश' में गुज़र गये,
कुछ टूटे थे हम,
अब बिखर कर पसर गये ||-