तू अपने मतलबीपन का हिसाब रख...
देखा जाएगा ये सब क़यामत के रोज़
तू अपने हर ग़ुनाह का हिसाब रख..:)-
गहराइयों का डर तू
हमें न दिखा ऐ समँदर...
हम तो हर रोज़ उनकी
आँखों में डूबा करते है..:)-
इस कदर ख़ामोशीयों से अब रिश्ता है मेरा,
ख़ुदसे भी बात करुँ तो शोर सा लगने लगता है।:)-
आसमाँ देखते रहे हम ऊँचाइयों को छूने...
जमीन से जो उठे, तो आसमाँ ने भी ठुकराया..:)-
तेरी
दिल के दरवाजे पे मेरे...
बैचेनियाँ ये अब मेरी
हमसफ़र है तेरे बाद..:)-
दिल ही दिल में दबे हुए अल्फ़ाज
खामोशियों में छिपे हुए अल्फ़ाज
दूर जाने के डर से सहमे से अल्फ़ाज
रातों के अंधेरेमें खोये हुए अल्फ़ाज
आँखों के अश्कों से भीगे हुए अल्फ़ाज-
तेरे हर ग़ुनाह की सज़ा खुदके लिए मांग लू पर,
यह रिश्ता सिर्फ़ मेरी जिम्मेदारी हो ये जरूरी है क्या।-
त्यौहार तो हमारा उसी दीन होता है जब तुम साथ होते हो।
तुम्हारे जाने के बाद तो मिठाइयोंकी मिठास भी गुम हो जाती है।-
नफ़रत हो या मोहब्बत बस करते रहना हमसे ,
आपके ख़्यालों में रहे आरजू इतनी सी है।-
कुछ गीले शिक़वे हो तो डाँट दिया करो,
नाराज़गी में यूँ सफ़र को अधूरा नही छोड़ते।-