रूह तक को भी जख़्मी कर देती है,
बहस वो जो कभी पूरी नहीं होती।-
किरदार और कहानी मैं ही जानता हूँ साहब।
लोग तो मेरे बारे में बस अंदाजा लगा स... read more
नहीं सीख पाएँगे कमाना शायद
मुक़्क़म्मल नही मेरा ठिकाना शायद,
बसर करने को मिले जगह कैसे
खनकती जेबों का है ज़माना शायद..:(-
अब जाके हुआ है आपकी
ऊँचाई का एहसास,
कन्धे से जब आपके
कन्धा मिरा मिलने लगा.!!-
हे स्त्री !!
तू अपार तू करुणासिन्धु,
तू जननी तूची दीनबंधू।
🙏🙏🙏
जगदंबे तू, संकट हारिणी,
जगज्जननी हे! तू भवतारिणी।
🙏🙏🙏
कृपा तुझी ही मम अस्तित्व,
धन्य धन्य हे तव मातृत्व।
🙏🙏🙏
या सृष्टी चे तूची कारण,
"दास" तुझा हा तुझिया शरण।
🙏🙏🙏-
इक रोज अलविदा तुझको,
कहना है जानते थे...
तेरे शहर को हम कब,
घर अपना मानते थे..:)-
तुमसे सुलूक करता...
तुमसे सहा नहीं जाता
ये तेरे मेरे दिल मे दरार करता..:)
हाँ मगर ऐसा कभी
करूँगा मैं नही...
दिल तेरा टूटता तो
गुजारा मेरा भी न होता..:)-
खोई हुई जन्नत का निशाँ है ये वादियाँ,
शहरों के शोर से बेख़बर, सुकूँ का एहसास है ये वादियाँ...
तू साथ चल, के जी ले हम इस जन्नत को,
भागते फिरते इस दिल का खूबसूरत मुक़ाम है ये वादियाँ..:)-
मेरा देख के तुमको अनदेखा करना...
देखो ये बात बढ़ गयी तो
देखने को क्या बचेगा..?-