Devidas Saraf   (Wordsbydevidas)
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Joined 7 August 2020


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15 AUG 2022 AT 22:53

रूह तक को भी जख़्मी कर देती है,
बहस वो जो कभी पूरी नहीं होती।

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1 MAY 2022 AT 1:26

नहीं सीख पाएँगे कमाना शायद
मुक़्क़म्मल नही मेरा ठिकाना शायद,
बसर करने को मिले जगह कैसे
खनकती जेबों का है ज़माना शायद..:(

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9 FEB 2022 AT 10:35

★हे धनुर्धर! काँटो जड़ अन्याय की...★




नीचे पढ़िये...⬇️— % &

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2 JAN 2022 AT 1:22

अब जाके हुआ है आपकी
ऊँचाई का एहसास,
कन्धे से जब आपके
कन्धा मिरा मिलने लगा.!!

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29 OCT 2021 AT 10:27

-Wordsbydevidas

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7 OCT 2021 AT 9:39

हे स्त्री !!

तू अपार तू करुणासिन्धु,
तू जननी तूची दीनबंधू।
🙏🙏🙏
जगदंबे तू, संकट हारिणी,
जगज्जननी हे! तू भवतारिणी।
🙏🙏🙏
कृपा तुझी ही मम अस्तित्व,
धन्य धन्य हे तव मातृत्व।
🙏🙏🙏
या सृष्टी चे तूची कारण,
"दास" तुझा हा तुझिया शरण।
🙏🙏🙏

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21 AUG 2021 AT 21:51

इक रोज अलविदा तुझको,
कहना है जानते थे...
तेरे शहर को हम कब,
घर अपना मानते थे..:)

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8 JUN 2021 AT 21:40

तुमसे सुलूक करता...
तुमसे सहा नहीं जाता
ये तेरे मेरे दिल मे दरार करता..:)

हाँ मगर ऐसा कभी
करूँगा मैं नही...
दिल तेरा टूटता तो
गुजारा मेरा भी न होता..:)

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7 JUN 2021 AT 22:42

खोई हुई जन्नत का निशाँ है ये वादियाँ,
शहरों के शोर से बेख़बर, सुकूँ का एहसास है ये वादियाँ...
तू साथ चल, के जी ले हम इस जन्नत को,
भागते फिरते इस दिल का खूबसूरत मुक़ाम है ये वादियाँ..:)

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6 JUN 2021 AT 20:40

मेरा देख के तुमको अनदेखा करना...
देखो ये बात बढ़ गयी तो
देखने को क्या बचेगा..?

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