माना हम दोनों अलग हो गए
तुम अपने रास्ते चली गयी, मैं अपने
तुम वहाँ ख़ुश हो, मैं भी यहाँ ठीक हूँ
लेकिन कुछ तो है जो पूरा नही है, अधूरा है ।
शायद वो कहानी बची हो
या कोई अफ़साना बचा हो
कुछ ख़त जो मैंने पढ़ा नही
कुछ ख़त है जो अभी तक जला नही
अधूरेपन का एहसास जो
तुझमें भी बाकी है और मुझमे भी बाकी है
रात होती है, सुबह होती है
लेकिन रात के अंधेरे में कुछ ख़्वाब है
जो सुबह की रोशनी में बाकी है।।
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