वो मेरा हो ना सका तो मैं बुरा क्यु मानू
उसको हक्क है वो जिसे चाहे उसे प्यार करे
ग़म के जिस मोड़ पे वो ला कर मुझे छोड़ गए
मैं उसी मोड़ की दहलीज़ पर सो जाऊँगा
खोल कर आँख ना कभी देखूँगा उसकी तरफ
हश्र तक उसके लिए अजनबी हो जाऊँगा
❤️ "Radha" ❤️-
मैं तुझे फिर मिलूँगा...
कहाँ कैसे पता नहीं
शायद तेरी कल्पनाओं
की प्रेरणा बन कर,
तेरे कैनवास पर उतरुँगा
या तेरे कैनवास पर,,
एक रहस्यमयी लकीर बन
ख़ामोश तुझे देखता रहूँगा
मैं तुझे फिर मिलूँगा
कहाँ कैसे पता नहीं ।
~ अमृता प्रीतम
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कल खेल मे, हम हो ना हो
गर्दिश मे तारे रहेंगे सदा
भूलेंगे वो,, भूलोगे तुम
पर हम तुम्हारे रहेंगे सदा 🫶
चलता हूं sweet❤️
Tc
Urs.....
Love you so much
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जीत और हार के निशान ना तलाशीऐ,,,
ज़िंदगी थोड़ी है... जैसे पसंद आए waise गुज़ारिऐ।।
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इक ख्याल तेरा हवा का झोंका दे गया
तू* हासिल भी ना हुआ और दर्द ए ग़म दे गया।।
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जिस चौराहे पर खड़ा हूं मै
वहाँ से ना आगे जाने का रास्ता दिखाई देता है
ना ही पीछे लौटने की हिम्मत होती है
लगता है जैसे आसमाँ मे उड़ता परिंदा हूं
जिसे पिंजरे मे कैद कर लिया गया
जैसे किसी भंवरे को काग़ज के फूल पर बिठा दिया
और इक पुरानी कश्ती....
जिसमें छेद करके मुझे सागर मैं उतार दिया
उफनती लहरों मे...
धीरे - धीरे डूब जाने के लिए......... ✍️
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तरसती आँखों ने दूर से ही मोती बरसाए हैं
तेरे लिए रब के आगे सो सो बार हाथ उठाए हैं
इक तेरी खुशी के लिए हमने अपने सारे ज़ज्बात भुलाए हैं
साथ तेरे वक़्त बिताने के लिए हमने वक़्त के ताबीज बनवाए हैं
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दिन का आग़ाज़ तेरे नाम* से करेंगे
उठेगा दर्द ए दिल जब, बेतहाशा.. तब याद करेंगे
हर साँस से पहले, और साँस छोड़ने के बाद,, करेंगे
तुझे लिखेंगे पड़ेंगे और याद करेंगे
तेरी मुहब्बत,, सर आँखों पर रखेंगे
अपने वादे पर जो हमने दिल हारे,, उसे.. याद रखेंगे और हाँ,,, तुम्हें हम याद करेंगे
ढलती शाम के साथ, तेरा नाम लेकर,, याद करेंगे
सहर होगी तो... तेरी याद में,, तुझे याद रखेंगे
खुद को कम,, जिया है मैंने
तुम्हें... मुकम्मल याद करेंगे
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पलकों पर ठहरे ख्वाब आँखों मे उतारे हैं
हर राह हर मोड़ दिल कहता है.. हम तुम्हारे हैं।।
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जिंदगी ने क्या छीना क्या छूट गया याद नहीं
मैंने कभी किसी की परवाह भी की ही नहीं
जो मेरे मुक़द्दर मे था मैंने मंजूर कर लिया
उसकी मर्ज़ी के आगे सर उठाया भी नहीं
देने वाले ने बहुत दिया, किसी किसी को तो ये सब नसीब होता भी नहीं
यार दोस्त सब छूट गए फिर भी कभी घबराया नहीं
जेब भी रही खाली मगर डगमगाया नहीं
यूँ ही चलते चलते आ गया तू*......
तुझसे दूर जाने को मैंने खुद को कभी मनाया ही नहीं,
सच है तेरे सिवा मैंने किसी को शिद्दत से चाहा ही नहीं।।
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