तारीख
किस बात की हमें सीख दे रहे हो तुम।
क्यूँ ये सितम इतना बारीक दे रहे हो तुम।
क्या बात है अब तुम अदालत बन गये हो
अब हमे तारीख पर तारीख दे रहे हो तुम।-
ख्वाहिश
कैद ना कर अपने निगाहों में मैं छुट भी सकता हूँ।
मनाना आता है ना तुम्हे मैं तुमसे रुठ भी सकता हूँ।
मांग लो आसमां को देखकर कोई ख्वाहिश अपनी।
मैं वो तारा हूँ जो तेरी ख्वाहिशों के लिए टुट भी सकता हूँ।-
गजल
शब्दों को जोड़ कर मैंने गजल कर दिया है।
उसने आज फिर किसी का कतल कर दिया है।
मैंने मांगा था खुदा से उसको हिस्से में अपने
उसने मुझे ही अपनीं जिदंगी से बेदखल कर दिया है।
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महसूस
हर पल तुमको खुश करना चाहता हूँ।
तुम्हारी यादों को अपने पास महफूज करना चाहता हूँ।
तुम दूर से ही सही अपनी आहटें तो भेजो।
उसे छुकर तुम्हे महसूस करना चाहता हूँ।
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बरसात
किसी पन्नें को अधुरा छोड़ दूँ
उस पन्नें पर लिखी वो बात हूँ क्या।
हर किसी के ख्यालो मे आ जाऊँ
वो सर्दी की रात हूँ क्या।
हकीकत ये नहीं कि हर बात बताये किसी को
हर बार बहक जाऊँ जजबात हूँ क्या।
उसने कहा ''vicky'' तुम मिल कर रूकते नहीं हो
भीगा कर छोड़ दूंगा मै बरसात हूँ क्या।-
वजह
जहाँ भी देखू मिले वो।
ए खुदा, तु उसे हर जगह बना दे।
जब भी मुस्कुराये वो किसी वजह को लेकर
मुझे तु ऐसा ही कोई वजह बना दे।
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इशारा
हवाओं को रोक मत इन्हें गवारा कर दें।
ये जो तेरा हैं उसे हमारा कर दें।
उतरते दे मेरे कबुतरो को छत पर तेरे
तु छत पर आकर बस इशारा कर दे।-
नाम
बह चला ये हवा किसी शाम की ओर।
मनचला दिल उड़ चला एक जाम कि ओर।
कहीं महफिल मे पुकारा किसी ने नाम उसका
मैं पलटकर देखने लगा उस नाम की ओर।-
टुकड़ा
बीता वक्त आज उखड़ा मिला था।
सालों बाद उस खत का टुकड़ा मिला था।
गजब हुआ उस टुकड़े को जोड़ा गया तो
उस टुकड़े में अभी भी उसका मुखड़ा मिला था।
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सुकून
बेचैन हो गर्मी मे जून है शायद ।।
एकतरफा प्यार का कुछ जुनून हैं शायद।।
चाहतें मिट गई वो छोड़ कर चले गये
अकेले रहने मे बहुत सुकून है शायद।
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