QUOTES ON #TPD

#tpd quotes

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11 JUN 2017 AT 23:47

लिखती इसलिए हूँ,
क्योंकि उम्र छोटी है और यादें बहोत सारी!
दोस्त कम हैं और बातें बहोत सारी।!
निराशा भी हैं पर उम्मीदें बहोत सारी!
दिल एक ही है और ख्वाहिशें बहोत सारी!
ज़िन्दगी मुक्कम्मल नहीं, कमियाँ हैं बहोत सारी!
वजह ढूंढती हूँ अगर, कि क्यों लिखती हूँ?
वजह नज़र कोई नहीं आती पर वजह हैं बहोत सारी!
बस इसीलिए लिखती हूँ!!

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26 MAY 2017 AT 18:24

Sometimes clouds hide the SUN,
But SUN never forgets to spread LIGHT.

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24 MAY 2017 AT 0:54

Relative 1 said: She will become doctor and make family proud.
Relative 2 said: She will become engineer and make us proud.
Relative 3 said: She will be the first lawyer in the family and make all proud.
All fell silent when her FATHER said:
"My daughter know how to fly,
Let her find her wings,
Let her GROW!"

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6 MAY 2018 AT 18:10



#Ek khayal

Bina kahein hi maine sunn toh li thi tumhari saari khwahishein,
Tum ab zor zor se chikne par bhi ansuna kar dete ho.

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6 JUL 2017 AT 17:12

खामखा यूँ धड़कन न बढ़ाया करो
देखो इस तरह तुम याद न आया करो

ठंडी ठंडी हवा जब छूती है तन को
देखो तुम अपनी बातों से न छू जाया करो
खामखा यूँ धड़कन न बढ़ाया करो

बरसती हैं बूंदे तो खुश उठता है मन
देखो तुम बरसात में अपनी यादों से बिगोया न करो
इस तरह तुम याद न आया करो

भीनी भीनी जब आती है मिट्टी की खुशबू
संभाला करो तुम जज़्बातों को,
यूँ अपनी महक से महकाया न करो

मैंने कैद कर रखा है तुमको इस दिल में
देखो तुम अल्फ़ाज़ बन बाहर आया न करो
खामखा यूँ धड़कन न बढ़ाया करो

क्या कहेगी दुनिया जो पड़ने लगी मेरी आँखें?
काजल बने रहो, मुस्कान बन यूँ झलक न जाया करो
खामखा यूँ धड़कन न बढ़ाया करो
देखो! मान लो, इस तरह याद न आया करो। ❤

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11 MAY 2017 AT 1:41

People ask me why I am single?
May be a simple 'forever' is difficult for most of the people!

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8 MAY 2017 AT 23:22

रोशनी का यहाँ ज़रा सा अक्स दिखता है,
वहाँ अंधेरों ने घर ज़रूर किया होता है..
कि धुआँ वहाँ से उठता है
यहाँ कहीं घर जला होता है....

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5 JUN 2017 AT 20:38

'मोहब्बत ख़त्म हुई'
जंजीरों में बंधी थी, वो आज़ाद हुई।

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1 JUN 2017 AT 0:31

Once lost, will never be found..
'Trust' is such a thing!

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30 MAY 2017 AT 23:26

जाड़े में खिलती धुप जैसा वो,
तपती गर्मी में छाँव जैसा वो,
प्यासी धरती पर गिरती बारिश की बूँद जैसा वो..

वो जो घाव भी दे और असर मरहम जैसा वो,
है अजनबी फिर भी अपनों जैसा वो,
खुली आँखों से देखा सपने जैसा वो,
एक दोस्त, एक रहगुज़र, एक भरोसे पे टिके रिश्ते जैसा वो..

कभी नादान, कभी मासूम, कभी शरारती बच्चे जैसा वो,
कभी तूफ़ान, कभी शांत सी गहरी रात जैसा वो..

कभी सुलझा हुआ तो कभी उलझे से किसी सवाल जैसा वो,
कभी अपनेपन का एहसास करवाने वाला, कभी बेगाना कर जाने वाला वो..

उसे खुली किताब कहूँ, या कोई गहरा राज़ कहूँ,
बस आँखें जो बंद करूँ तो एक प्यारी सी मुस्कान जैसा वो....

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