QUOTES ON #TONIGHTSPECIAL

#tonightspecial quotes

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14 AUG 2022 AT 16:21

कभी तो मन नहीं लगता, कभी मुश्किल नहीं लगता
ग़ज़ल का काम है ऐसा, कहीं फिर दिल नहीं लगता
कभी करने को कर लेता हूँ कुछ मिसरे अगर पूरे
न जब तक ज़िक्र हो उसका, कोई कामिल नहीं लगता

नहीं हमक़ाफ़िया कोई कहीं जंगल क़वाफ़ी में
मुझे मिलता है वो रस्ता, जो फिर मंज़िल नहीं लगता
समुंदर बंदिशों का है, मुझे उस पार जाना है
सहारा जो भी मिलता है, वो ही साहिल नहीं लगता

मैं उससे जुड़ तो जाता हूँ ख़यालों में कभी अपने
मगर जो लफ्ज़ मिलता है, वो ही वासिल नहीं लगता

मैं कोशिश तो बहुत करता हूँ उसको पाने की हरदम
कभी वो मिल भी जाता है, मगर हासिल नहीं लगता

हाँ होने को तो हो सकता है वो कुछ भी मगर देखो
मिरा क़ातिल भी होकर वो, मुझे क़ातिल नहीं लगता

सुख़न को पढ़ने सुनने का उसे तो शौक़ है पर क्या
कभी लिख पायेगा उसको, 'असर' काबिल नहीं लगता
Hitendra_Asar

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31 MAY 2022 AT 20:58

जंगली इंसान
जंगल खा रहा है...

ज़मीर से जानवर
हुआ जा रहा है..!
✍️🤐

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6 AUG 2022 AT 19:55

मैं दुनिया में तेरी पनह चाहता हूँ
मैं जीने की कोई वजह चाहता हूँ

वजह इश्क़ की हो, ज़रूरी नहीं है
मुहब्बत वफ़ा बे-वजह चाहता हूँ

मुझे क्या है मतलब महल हों किसी के
मैं दिल में किसी के जगह चाहता हूँ

हुनर मुझको उड़ने का आता नहीं है
मैं कदमों तले इक सतह चाहता हूँ

सुकूँ ओ मुहब्बत हमेशा भरी हो
मैं घर में हमेशा सुलह चाहता हूँ
गले से लगा कर हो मिलना सभी से
नहीं दिल में कोई गिरह चाहता हूँ

दुआ सबकी ख़ातिर लबों पर है मेरे
सभी के लिये मैं फ़रह चाहता हूँ

'असर' बैठे होकर के बेख़ुद जहाँ पर
मैं ख़ुद के लिये वो जगह चाहता हूँ
Hitendra_Asar

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14 AUG 2022 AT 17:40

तरफ़दारी नहीं करता, शजर कोई कभी देखो
कभी तुम पास गर बैठो, तो छाया मिल ही जाती है
✍️🌳😊

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24 MAY 2022 AT 22:53

होते होश में,
तो हक़ीक़त भांप लेते सबकी...
थे मदहोश,
सो रिश्ते निभा गए सारे.!!
✍️🌷

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13 AUG 2022 AT 21:16

इस खुदकुशी में कोई नहीं हब्स देखिए
परवाने ओ शमा का कोई रक़्स देखिए

कर दे जो जाँ निसार मुहब्बत में आप पर
दुनिया में आप ऐसा कोई शख़्स देखिए

जब आप मुस्कुरायें तो फिर मुस्कुराये वो
ऐसा ही दिल में अपने कोई अक्स देखिए

एहसास भर से जिसके महक जाये ये सफ़र
इस ज़िन्दगी में ऐसा कोई लम्स देखिए

जब मान ही लिया उसे अपना तो फिर 'असर'
अब उसमें बे-वजह न कोई नक़्स देखिए

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21 AUG 2022 AT 0:12

तुम्हारी फ़िक्र होती है, मैं मन में डरता रहता हूँ
के हरदम खुश रहो बस तुम, दुआ ये करता रहता हूँ

कभी ना वक़्त वो आये, पड़े जीना तुम्हारे बिन
यही बस सोच कर मैं तो, हमेशा मरता रहता हूँ

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कभी तुम मिल ही जाओगी, मुझे अनजान राहों पर
इसी ख़ातिर ही बस मैं तो, 'असर' यूँ चलता रहता हूँ

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18 AUG 2022 AT 21:03

चाँद को यूँ छुपा लिया अच्छा
बादलों ने बचा लिया अच्छा
कितनों की होती ये क़ज़ा फिर से
कुफ़्र से फिर बचा लिया अच्छा

वो अकेला खड़ा था बद-अख़्तर
सबने मिल के गिरा लिया अच्छा
तब न आया कोई बचाने को
शोर सबने मचा लिया अच्छा

दर बदर ठोकरें ही खाये हम
तुमने घर ये बसा लिया अच्छा
ज़ाया ना हो लहू ये चाहत का
हाथों में वो रचा लिया अच्छा

ये तुम्हारा बचाने को दामन
हाथ हमने जला लिया अच्छा

वो नहीं थी 'असर' लकीरों में
दिल ग़ज़ल से लगा लिया अच्छा
Hitendra_Asar

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29 MAY 2022 AT 23:34

घोंसलों से बिना परों के, निकलना नहीं चाहिए
अंधेरी रातों को घरों से, निकलना नहीं चाहिए...

अक्सर नामुमकिन हो जाता है लौटना उनसे,
उन यादों के खंडहरों से, निकलना नहीं चाहिए..!
✍️🌹

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11 AUG 2022 AT 0:47

सब कुछ ऐसे गंदा कर दो
सब का ऐसे धंधा कर दो

सस्ती कर दो मय को इतना
इंसांनों को नंगा कर दो
सबको ऐसे ज़हर पिला कर
मुर्दों को तुम कंधा कर दो

सच को पैरों तल्ले रौंदों
झूठ का ऊंचा झंडा कर दो

जाती की तुम बात उठाकर
सबको ऐसे अंधा कर दो

ऐलान चुनावों का करके
शहरों में फिर दंगा कर दो
हो चाहे फिर कितनी छोटी
बात बढ़ाकर पंगा कर दो

कर्ज़ों को तुम माफी देकर
देश को अपने फंदा कर दो

देना हो जब दोष किसी को
मुझको 'असर' वो बंदा कर दो
Hitendra_Asar

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