तेरे इतने अच्छे हालात नहीं
जो तू मुझको पा लें...
तेरे सपनों से ऊंची उड़ान है मेरी ..
तू कहे मैं सुनूँ
सिर्फ सुनूँ और चुप रहू
यह मंज़र कभी होगा नहीं...
मेरे पंखों को तू कतरे
इतने कमजोर मेरे हालात नहीं...
और अपनी आज़ादी मैं तुझसे मांगू
इतने बुरे मेरे हालात नहीं...-
उनका कहना है हम उन्हें याद नहीं करते,
कहीं हम उन्हें भूल तो नहीं गये...
कोई समझाये उन्हें,
वो मेरी जिन्दगी का हिस्सा नहीं, मेरी जिन्दगी है,
कोई Physics का Chapter नहीं जो हम भूल जायें.....-
कोई अगर चाहे मिटाना
ये भेदभाव मजहब का तो आसान है
नहीं तो दरिया लहू का
अब भी बहना बाकी है....-
बनारस
शहर नहीं मोहब्बत है
सिर्फ मेरी नहीं बहुतों की है
उसे पाना कोई चाहता नहीं
चाहते हैं सब बस खोना
उसकी संकरी गलियों में
तो उसके गंगा की लहरों में
और बच गए इन सबसे कही
तो भोले की जटाओं में जरुर डूब जाएंगे।-
वो कहती है हमने उसे जाने दिया
लेकिन रोकने का हक हमें कब दिया था।
वो कहती है हमने उसे मनाया नहीं
लेकिन रूठने का कारण हमें बनाया कब था।
वो दरीचें पर रहती थी हर दिन
लेकिन हमें गलियों में जाने से रोका क्यों था।
मोहब्बत हमेशा विश्वास मांगता है
लेकिन भरोसा हमसे निभाया कब था।
रिश्ते अकेले हर वक्त निभाता मैं रहा
उसने निभाने की कोशिश किया कब था।
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इतना हवस और ये दरिंदगी लाते कहाँ से हो
पूछती है वो बेटियाँ जिसके पिता तुम नहीं
लेकिन पिता तुम किसी के तो हो।-
क्या जिंदगी इतनी सस्ती है..?
तोड़ जाए दिल कोई
या छोड़ जाए साथ कोई
तो सांसों की डोर तुम अपनी काट लो।
क्या सच में इतनी सस्ती है जिंदगी...?
कुछ काम बिगड़ जाए
या कुछ मार्क्स कम आए
तो रोक दो धड़कने अपने दिल की
और छोड़ दो साथ इस जग की।
नहीं मिला है जबाव अभी भी
कि जिंदगी जो मिलती है बहुत मिन्नतों से
क्या सच में बहुत सस्ती है.....?-
जिंदगी की दौड़ में
जीतने को इतने आतुर थे
कब मौत आई
कब ये जहां छूटा
सांसों का कब तार टूटा
कुछ भी पता ना चला।-
मैं तेरी हूँ
लेकिन मैं मेरी भी हूँ
तुझे पाया है मैनें
तो खोया खुद को भी नहीं है
मुझे इश्क़ तुझसे है
लेकिन मोहब्बत मुझे खुद से भी है।-