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9 AUG 2020 AT 8:21
ख़्वाब देखा करो यारो ये जीने का मक़सद देते हैं
जैसे ये बारिश की बूंदे ज़मीन को सुकून देती है।-
10 AUG 2020 AT 9:37
तुमने कोठियां भर डाली दौलत से पर थोड़ा भी सुकूं न भर पाए
नाम भी खूब कमाया तुमने पर अफ़सोस दो पल सुकूं से न सो पाए।-
21 MAR 2021 AT 21:55
ये जो तुम चेहरा पढ़ने का हुनर रखते हों
इससे माँ बाप का चेहरा क्यों नहीं पढ़ पाते हो
और जिनसे आज वज़ूद है तुम्हारा
अफ़सोस उन्हीं के अश्कों को नहीं देख पाते हो।-
18 MAY 2021 AT 10:50
ऋणी हूं हरि जी तुम्हारा, जो बुरा वक़्त दिखाया है
और जो मेरे सगे बनते थे, उनका मुखौटा गिराया है।-
18 AUG 2020 AT 0:07
दूसरों का दुःख अपने आगे हमेशा कम ही लगता है
अपना सुख दूसरों के आगे हमेशा कम ही लगता है।-
20 AUG 2020 AT 8:47
अंधकार से निकलने के लिए थोड़ी सी रोशनी बहुत होती है
जो सूखे रेगिस्तान से निकाल समंदर तक पहुंचा ही देती है।-