डोल रही थी नैया मेरी, जब निराशा के भँवर में
आ के तूने ज़िंदगी में , आशाओं के दीप जलाए
शुक्रिया कैसे करूँ मैं , यार मेरे तू बता
साथ तूने तब दिया जब अपने भी हो गए पराए
अनमोल है यारों की यारी , इस पूरे संसार में
मूर्ख है इंसान वो जो , दोस्ती का मोल लगाए
किस्मतों से मिल गए जो तेरे जैसे यार हमको
तर गए इस भव-सागर से , हम तो बिन गंगा नहाए
The Fearless Writer
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