Shailabh Nandan Sharma   (शैलाभ नंदन शर्मा)
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Joined 16 December 2016


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Joined 16 December 2016
29 SEP 2021 AT 13:57

कोई टोंटी उखाड़े हैं , कोई A.C. उखाड़े हैं
जगह बदली है- नेता जी, मज़बूरी के मारे हैं
वज़ह कोई भी हो लेकिन , पहन रखे थे जो अब तक
मुखौटा अपने चेहरे पर , वो बेशर्मी से फाड़े हैं

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18 JUL 2021 AT 15:58

सच्चाई न कहने की , न सहने की ही हिम्मत है
बड़े बेशर्म हो तुम तो , ज़रा सी भी न ग़ैरत है
उठे उँगली न क़ातिल पर , इसी मक़सद से तुमने जो
भेजी बंदूक को लानत , उस लानत पे लानत है

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18 JUL 2021 AT 8:10

ज़िंदगी से बड़ा कोई , परीक्षक हो नहीं सकता
मुश्क़िलों से बड़ा कोई , शिक्षक हो नहीं सकता
वो बैठा है जो ऊपर , नज़र रखता है हम सब पर
ईश्वर से बड़ा कोई , निरीक्षक हो नहीं सकता

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31 MAY 2021 AT 0:30

कभी विस्मय कभी संशय , से ये मनवा सिहरता है
संक्रमित हो गया जो उस , पे जाने क्या गुज़रता है
ग़जब की है जटिल गुत्थी , सब सुलझा रहे हैं पर
बना कैसे है Corona , ये बस चीनवा समझता है

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28 MAY 2021 AT 11:47

सार्थक तभी है ... बुद्धि कुशाग्र
यदि कर सको , चित्त को एकाग्र
क्षय होती ऊर्जा , कर देगी व्यग्र
रणनीति पहले , जो ना हो समग्र
प्रयासों को अपने, न होने दो व्यर्थ
सामर्थ्य है तो , बनो तुम समर्थ

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9 MAY 2021 AT 13:48

स्वाभिमान-संघर्ष की ऐसी , विकसित अमर परिपाटी हो
हो शत्रु समक्ष अपार प्रबल , रक्तरंजित तब हल्दीघाटी हो

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13 MAR 2021 AT 10:04

कुदरत की इनायत है , मेरी बेलौस बेबाक़ी
हालातों की रहमत है , जो कुछ भी है चालाकी
कुछ अपने तज़ुर्बों से , कुछ लोगों के तोहफ़ों से
थोड़ा सीख गया हूँ मैं , है थोड़ा सीखना बाक़ी

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12 MAR 2021 AT 11:12

काँटों से भरी राहों , पे चलना सीख जाओगे
धरती चीर , अंकुर बन , निकलना सीख जाओगे
बनो वो दीप, रहे क़ायम , आंधियों में भी जिसकी लौ
तो ख़्वाबों को हक़ीक़त में , बदलना सीख जाओगे

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26 FEB 2021 AT 14:00

आतंकवाद का भूत तुम्हारे , सिर से हम यूँ उतारेंगे
तुम जब जब सीमा लाँघोगे , हम घर में घुस के मारेंगे

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19 FEB 2021 AT 7:39

उसको तो जाना ही था लेकिन
जाते-जाते वो हमको 'गुड बॉय' बोल के गयी ...

इस कॉम्पलिमेंट की ख़ुशी के आगे
उसके जाने का दुःख भी फ़ीका पड़ गया ...

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