Baaisa , aap ke taareef me ham kya kahe...
Hamare talwaar bhi aap ke shaamne jhuk jaate hai-
सुनो ठाकुर साहब,
अधिकार है तुम्हारा,
तुम जब चाहे,
जता दिया करो !
❣️
दुनियादारी मैं,
कम समझती हूँ,
तुम सही गलत,
बता दिया करो !
❣️
कि अल्हड़ हूँ,
मैं थोड़ी सी,
तुम प्यार से यार,
समझा दिया करो !!-
भर तो लूँ,
मैं अपनी आंखों में,
आपको ठाकुर साहब !
❣️
कि मूंद कर पलके,
मैं फिर दीदार आपका,
जब चाहे कर लूँगी !!-
एक तरफ़ चाय ठंडी हो रही है,
दूसरी तरफ ठाकुराइन का मिज़ाज गर्म हो रहा !
अब मैं पहले चाय पर ध्यान दूँ,
या अपनी ठाकुराइन के गुस्सा को संभालूँ !!-
शांत समझदार से,
ठाकुर साहब को !
🍃
इस अल्हड़ चंचल सी,
ठाकुराइन से !
🍃
होना प्रेम तो यारों,
स्वाभाविक ही था !!-
देख कर आईने में,
ख़ुद को !
तुम मेरी आँखों का तिरस्कार,
करती हो !
यूँ सजा कर श्रृंगार से,
ख़ुद को !
तुम मेरी पसंद पर भी सवाल,
खड़े करती हो !
अब बस करो ठाकुराइन,
तुम भी !
तुमसे प्रेम ही मेरा एकलौता,
काम है !
और अब तुम यार मुझे उसमे भी,
बेरोजगार करती हो !!-
कहता है,
सुनो ठाकुराइन !
❣️
अपने झुमकों से कह दो,
कि ये जरा हद में रहा करे !
❣️
छू कर गाल तुम्हारे बार बार,
ये सामने मेरे न इतराया करे !!-
कहता है,
मुझमें ही तो बसी हो तुम !
तुम्हें कैसे न,
पता होगा भला हाल मेरा !
❣️
मैं कितना भी,
करूँ प्रेम तुमसे ठाकुराइन !
मैं जानता हूँ,
तुम्हारा प्रेम ज्यादा है मुझसे !!-
कहता है,
सुनो ठाकुराइन !
नाम पर श्रृंगार के,
बस काजल लगाना है !
सारे गहनों में से मात्र,
पाज़ेब डाल कर आना है !
इतना ही काफी है,
ठाकुराइन तुम्हारे लिए !
तुम्हें इतने श्रृंगार में ही,
महफ़िल का चाँद बन जाना है !!-
तुम प्रेम हो,
मेरा,
तुम क्यों नहीं समझते,
यार प्रिये !
तुम बिन जीवन व्यर्थ है,
मेरा,
तुम मान भी लो न,
ये बात प्रिये !
तुम में ही बसा है संसार,
मेरा,
तुम जानते तो हो,
मेरे जज्बात प्रिये !
तुम पर अधिकार होगा मात्र
मेरा ही,
तुम भी कह दो न,
मुझसे यार प्रिये !!-