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8 OCT 2021 AT 20:17
मेरी लेखनी के,
शब्दों में समय के साथ,
परिवर्तन यथार्थ है !
पर उन शब्दों का,
अर्थ मात्र प्रेम रहेगा !
औऱ इस प्रेम पर,
अधिकार मात्र आपका,
ही रहेगा ठाकुर साहब !!-
4 FEB 2021 AT 13:54
सुनो
तुम चाय पत्ती बनो☕
में बनता हूं शक्कर के दाने
कोई तो मिलायेगा हमे चाय बनाने के बहाने•-
7 FEB 2021 AT 11:05
गुलाब के जैसा हुआ था इश्क हमको
जितनी ख़ुसबू थी उससे ज्यादा कांटे थे•-