QUOTES ON #TERELIYE

#tereliye quotes

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तुझे देखकर अक्सर सुध-बुध मैं खोता हूँ,
अपने अंदर खुद से अन्तरयुद्ध मैं करता हूँ।— % &

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अपने हदों में रहकर
सरहदों को पार किया,
कुछ इस कदर मैंने
इश्क़ का विस्तार किया।

गुमशुदा थी शख़्सियत,
जिसको एक मुक़ाम दिया,
उनके दिल मे जब मैंने,
मोहब्बत का इश्तिहार दिया।

नजदीकियां जब बढ़ने लगी,
जमाने ने जमकर बवाल किया,
नशे की उस लत में भी मैंने,
आब-ए-तल्ख़ को दरकिनार किया।

बिखरे गेसुओं और
स्तब्ध पड़े दिल को संवार दिया।
हाँ कुछ कदर मैंने,
अबद तक टूटकर उन्हें प्यार किया।

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सिली सिली शाम
भीगी भीगी रात।
हाथों में उनका हाथ,
कुछ पल का वो सुनहरा साथ।
नज़रों से हुई दिल की हर बात,
थी कुछ ऐसी हमारी वो मुलाक़ात।
वो साँसों की रफ़्तार का बढ़ना,
दिल धक-धक उनके नाम से करना।
असंभव को संभव में बदलकर,
ख़ामोश इश्क़ का उन अंजाम तक जाना।
ये इश्क़ नही उससे बढ़कर है कहीं,
जिसका नाम दुनिया ने अबतक न जाना।

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खुद को खुद के लिए छोड़ा ही नही,
दिल तेरा होता गया,मैंने इसे रोका ही नही।
समझाऊ कैसे अब इस नादान दिल को,
इश्क़ का नाम ही खुद में मुक्कमल हुआ नही।

तैयार हूं मैं उन तूफानों से भी लड़ने के लिए,
बात अलग है कि पुराना ज़ख्म अबतक भरा नही।
हार जाऊ कैसे तेरे इश्क़ को इतने आसानी से मैं,
कश्ती है मजधार में लेकिन पतवार हाथ से छूटा नही।

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पाया नही लेकिन एक डर है
तुम्हे खोने का,
कोशिश तो हम कर ही रहे हैं,
तेरे दिल के बाशिंदे होने का।

आगे फैसला तुम्हारा जो होगा,
ये तुमपर छोड़ते हैं।
बस वो खुदा इतनी ताक़त दे मुझे,
तेरे लिए हर फ़ैसले कबूल करने का।

मेरा क्या है,मैं तो हवा हूँ,
जिसे इज़ाज़त मिली है तुम्हे छूने का।
मुझे कुछ और नही बस अपना हक़ चाहिए,
तेरे दिल मे धड़कन बनकर,साँसों में खोने का।

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एक और मोहब्बत
रह गयी फिर अधूरी,
रस्मों रिवाज़ों के ढोंग में
दम तोड़ गयी प्रेम कहानी।
समाज के कायदों,कानूनों से
क्या हुआ इस इश्क़ को फायदा,
हर कदम पर तोड़ा जिस जग ने
स्वर्णिम इश्क़ के हर एक वायदा।
अधूरे सपनों में पूरा इश्क़ जिया हमने,
हदों को तोड़ मुनासिब इश्क़ किया हमने।
सात फेरों के सात वचन क़िस्मत में ना सही,
मेहंदीवाले उन हाथों पर मेरा नाम ना सही
ताउम्र उनके लिए ही रहेगी मेरी ये मोहब्बत
बहते अश्कों से नहाकर ये कसम लिया हमने।

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रकीबों की बस्ती के करीब से यूँ गुज़रे हैं हम,
बशर्ते इश्क़ में बेवफा होने से मुकरे हैं हम।

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उदास जब वो हो जाए,
हम अपने दिल को कचोटते हैं।
ताजुब क्या करते हो,
आशिक़ ही ऐसा प्यार करते हैं।
कहने को है दिल में बहुत सी बातें,
हर मुस्कान में दबी मेरी ये नम आँखें।
वक़्त और हालातों की मार है ऐसी,
उफ्फ ये जलता जिगर और खामोश रातें।

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मैं वो शाख़ नही जो टूट जाऊंगा,
मैं वो साथ नही जो छूट जाऊंगा।
मैं वो आश हूँ जो हौसला बनकर आऊंगा।
वो विश्वास हूँ,जो अकेला भी साथ निभाउंगा।
तेरे दिल के हर कोने में उतर के देख लिया है मैंने,
मैं वो मरहम हूँ जो दिल के दरारों में भर जाऊंगा।

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हर रिश्तों के नाम होते हैं,
मोहब्बत तो अक्सर बेनाम होते है।
कर लो जब भी ये मोहब्बत दिलों जान से
शिद्दतों के रंग फीके और अधूरे हम होते हैं।

जिक्र जब उस वफ़ा की लत की आती है,
ज़िन्दगी से मजबूर और दिल से लाचार होते हैं।
क़लम की खूबसूरती से रचने चले जब इश्क़ को
लोग हमें कहते हैं शायर,वरना गुमनाम होते है।

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