Your Jat
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8 SEP 2019 AT 13:55
रंगमहल ठहरो जी साजण, पेमल था सु अरज करे।
लाछा आवे रात अंधारी, रोय रोय न गरज करे।।
गायां म्हारी लेग्या, मीणा जाती मेर का।
तेजा भारा चढ़ गया, गायां थारी लावला।।
अग्नि जळतो नाग ने, भाले सु बारे काढ़ दे।
जूणी म्हारी पूरी होती, थाने डसु नाग कैवे।।
वचन देवे म्हे आउंलो, बाछड़े री तेजो बात कैवे।
सुरों वचना बांध्यो आयो, नाग जिबड़लियाँ डस लेवै।।-