गिला किसी से ना था,
अब ना ही रहेगा,
तसव्वुर तेरा था
बस तेरा ही रहेगा.. ✍️-
कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा ,
हसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया ।-
"सिसक उठता हूँ आज भी उस नफ़्स का तसव्वुर करके
जिसकी जुस्तजु ने हमें मलवा-ए-इश्क बना दिया..."-
माथे पर तिलक, आंँखो में चमक,
अधरों पर तैरती तरल मुस्कुराहट,
मन मुदित कर देने वाली तेरी बस वो एक झलक।-
Kya kaha , main yaad nahi karta tumhe ?
Aazmaana chahti ho mere khayalo ke intesaab Ko ?
Toh phir kaat ke dekho mere soch ki nabz , Tumhare tasavvur ki dariya behti hai
Jinme har palchin tumhare fikr rawa hai-
सादगी उसके चेहरे पर बेशुमार थी..
लबों पे उसके मुस्कान बेमिसाल थी
हूर थी वो उस आशिक की..
जिसकी उसे तसव्वुर में तलाश थी..-
तुम्हें तसव्वुर में
पास रखने से
दिल नहीं भरता..
आँखों में
सपनों का
झरना नहीं झरता..
सच में आ कर
गले लगालो,
अब
वहम पालने को
दिल नहीं करता ...!
सतेन्द्र शर्मा !-
Yaad toh hum beshaq karte hain tumko
Haqeeqat mai kisi dusre k jo ho gaye tum
Guzar gaye jo keemti lamhein wapas mil jate
Agar tanhai ka sahara ek dafa phir ban jate tum
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