Manish Soni   (Manish soni)
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Joined 26 August 2018


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7 MAY 2022 AT 23:20

रात एक ऐसी दोस्त है जो रखती है हमारे सपनों का हिसाब-किताब,
कई बार नींदों को सिरहाने रखकर, रात ले चलती है हमें उस सफ़र पर जहांँ दिनभर के किरदारों को छोड़ हम खुद से मिलते है,
और मिलते है कुछ यादों और ख्वाबों से।
दोस्त की तरह हमारे दुःख दर्द हँसी खुशी समेठी हुईं ये रात।।

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15 MAR 2022 AT 22:27

रात बह रही है,
दिन में जिस तरह नदी का पानी चमकता है, उसी
तरह मोती जैसे तारें रात को सजा रहे है,
कुछ गाँव सो रहे है तो कुछ शहर रात के साथ बह रहे है,
कहीं खामोशी है तो किसी का मन शोर में डूबा है,
कहीं सपने बुने जा रहे है तो कहीं यादें बह रही है।
रात बह रही है...

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3 JAN 2022 AT 22:51

याद की एक खिड़की खुली रह गई,
हवाएं वो महक फिर मन के आंगन में ले आई,
चांदनी की रोशनी से पलकें जगमगा गई,
पलकों की दीवारों पर फिर वहीं आकृतियाँ उकर गई,
याद की एक खिड़की खुली रह गई।

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9 MAY 2021 AT 0:30

हर दिन एक नई किताब है,
हर किताब कुछ खास है,
कुछ पन्नों पे ख्वाबों की कहानी है,
तो कुछ पर यादों की कविताएंँ लिखी है,
हँसना, रोना, गुस्सा, प्यार सबको समेटे
हर दिन की एक नई सीख लिखी हैं।

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25 APR 2021 AT 23:43

हर पन्ने पर ख़्वाब लिखा है,
बिखरते जुड़ते सपनों का अनुपात लिखा है।
मेहनत, ख्वाहिशों का हिसाब लिखा है,
और मंजिल पर पहुँचने का मार्ग लिखा है।।

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26 DEC 2020 AT 22:26

छूकर देखिए इन किताबों को, घुल के देखिए इन किताबों में,
शब्दों से उकेरे हुए चित्रों को मन में बसा के देखिए।।

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26 DEC 2020 AT 20:09

ज़िन्दगी की सरगम पर, सुर ताल मिलाते चलो,
तीव्र को कोमल से, कोमल को मध्यम से सजाते चलो।

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4 SEP 2020 AT 23:24

रात, सितारे और मैं,
ख़्वाब, ग़ज़ल और तुम।

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4 SEP 2020 AT 23:05

ये तेरा हौसला है,
जिसने तुझे राह के कांटों को रौंदने की शक्ति दी,
मन की नकारात्मकता को धो कर, मुश्किलों में तुझे संभाला।

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23 AUG 2020 AT 0:16

थोड़ी सी रोशनी बहुत है, घोर अन्धकार मिटाने में,
छोटी छोटी सी बातें बहुत है, खुशियांँ ढूंढ़ने में,
कुछ मुस्कुराहटें बहुत है, ज़िंदगी संवारने में।।

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