सच्ची बड़ा आराम मिलता है ,
तेरी याद में नींदे हराम कर के ।।-
इश्क़-ए-आग ने ऐसी सुलगायी चिंगारी,
धीरे-धीरे 'तरूण' जिंदगी जला दी सारी ।।-
तमाम दिन गुज़ार देता हूँ 'तरूण' रात की फिराक मे,
ताकि साया भी बीच न आ सके मेरे और तेरी याद मे ।।-
मालूम न था 'तरूण' मोहब्बत का ये अफसाना होगा
दिल कि ख्वाहिशो को इस दिल में ही दफ़नाना होगा ।।-
कहीं खिसक ना जाये कम्बल मेरे तन से 'तरूण',
इक इसी फिक्र ने रात भर जगाये रखा मेरी माँ को ।।
-
ऐसे नहीं आया लिखने का ये फन तरूण, वो तो मेरा मुकद्दर काम कर गया
बड़ा शुक्रगुजार हूँ उस का जो, जाते जाते वो अपनी यादें मेरे नाम कर गया
-
सोते जागते उठते बैठते तेरी ही ज़िद्द तरुण
दिल करता है गला घोंट दूँ इस दिल ❤का ।।-
मासूमियत तो देखो उसकी मेरे सामने तरूण,
वो मेरे सामने मेरा होने का नाटक करता है ।।-
इश्क का दर्जा अब इतना ऊपर उठ गया है तरूण
तेरी बुराई होती हैं जहां, मैं वहां बहरा हो जाता हूँ ।
-