कह दो गमे हुसैन(रज०)
मनाने वालों से,
मोमिन कभी शहीद का
मातम नहीं करते।
है इश्क़ अपनी जान से भी
ज्यादा आले रसूल से,
यूं सरेआम उनका तमाशा
नहीं करते।
रोएं वो जो हैं मुनकिर शहादते
हुसैन(रज०) के,
हम जिंदा व जावेद का
मातम नहीं करते।
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25 SEP 2017 AT 22:13