सुनते हैं तुम चल पड़े अच्छी डगर पे हो
चेहरा कोई ओढ़ लो सबकी नज़र में हो
बेहूदगी आवारगी लहजा बुरा बातें ख़राब
तुम तो हर इक चाल से शहरी बहर में हो
चाँद साहिर सा दिखे है आसमाँ में उस पहर
जब वो आए सामने पे ओढ़नी भी सर पे हो
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तेरे रुख़ पर जो देखा तिल ज़हन में बात उभरी है
ज़माने को यक़ीं बेशक न हो चाँद में दाग़ ज़रूरी है-
मुख़्तसर मुलाक़ातें जो मयस्सर हैं
काम चला लो के इश्क़ में बहुत डर है
अपनी उड़ान तो बहुत ऊँची है
ये कमबख़्त आसमान मुट्ठी भर है
चलो नए आशियाने की तलाश करते हैं
पुराना मकान अब बेहद जर्जर है
ज़रूरत है वक़्त रहते फ़र्क़ सीख लो
ये हिंदू का है, ये मुसलमान का सर है
ख़िलाफ़ गए तो जान से जाओगे
हम सियासी हैं, देश हमारे बाप का घर है
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প্রথম লেখা তোকে নিয়ে ক্লাসরুমে, মিষ্টি হাসি দেখে,
সেই চিঠিটা আজ প্রেমপিপাসু রুলটানা খাতার পেজে।
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इश्क़ की ख़ातिर इक नाम होना चाहिए
बाज़ार में तुम्हारा भी दाम होना चाहिए
तुमको भी मुझसे मोहब्बत हुई है ?
चलो अब तुम्हें भी बदनाम होना चाहिए-
When your life turns out to be colorless, unveil your true colors!!
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लाख मशक़्क़त कर लो पर तरकीब का क्या काम
जब इश्क़ कर बैठे हो फिर तहज़ीब का क्या काम
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