संघटन गढे चलो सुपंथ पर बढे चलो ।
भला हो जिसमें देश का वो काम सब कीये चलो ॥
युग के साथ मिलके सब कदम बढाना सीख लो ।
एकता के स्वर में गीत गुनगुनाना सीख लो
भूल कर भी मुख में जाती-पंथ की न बात हो
भाषा प्रांत के लिये कभी न रक्त पात हो
फूट का भरा घडा है फोड कर बढे चलो॥१॥
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21 NOV 2018 AT 9:10
1 JAN 2022 AT 12:03
कविता - वर्तमान कुरीतियां एवम् सहयोगी नीतियां
भारत देश महान स्वाभिमान की कमान है
विधियों का ज्ञाता इसका सर्वोत्तम संविधान है
धर्मनिरपेक्ष लोगो का ये अपना कीर्तिमान है
स्वयंसेवक संघ ही इसकी विश्वव्यापी पहचान है ।
अभद्रता की पेशकश को
सर पर क्यों चढाना है
स्वाभिानी सच्चे मन से
स्वयंसेवक बन दिखलाना है .......
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5 JUL 2021 AT 23:30
Once an Army always an Army.
Once a Swayamsevak always a swayamsevak.
This moment should never come in a swayamsevaks life that "Once upon a time I was swayamdevak."
Jai Shri Ram 🚩-