देखा था न तुमने कैसी सहमी सी
पिंक सूट में मैं चाय लेकर आई थी
पता ही नहीं चला कब नटखट बेटी से..
इतनी होनहार समझदार माँ बन गई
कभी कभी छत पर अकेली होती हूँ
तो पेड़ों को हवा संग झूमते देखती हूँ
खो जाती हूँ अतीत में जैसे बचपन
लौट आता है यादों में घूम आती हूँ
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Somethings can be seen through our eyes...
But everything we go through in our life is beyond our visible world...-
सोचती हूँ सभी बहनों को ढ़ेरों उपहार दे दूँ
मिल नहीं सकती तो स्नेही आशीर्वाद दे दूँ
कहती हैं सारी कि प्यारी हो बहुत आप दीदू
कुछ और नहीं तुम्ही सबका है प्यार कह दूँ
क्वीन हो सारी और हिम्मत की भी दाद दे दूँ
खुशी हो, मेरा विश्वास ,शान परिवार का कह दूँ
जितना भी कहूँ कम है मेरी चंदा चकोर हो सारी
तुम दिल तुम जान तुम हो जीने का ख्याल कह दूँ
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मैने सुना तज़ुर्बे की कंघी ...
बड़ी ज़रूरी सी है पर
जल्दी मिलती नहीं..
सोचती हूँ ये न ही मिले
तो अच्छा है न
ओवर स्मार्ट नहीं बनना है
ज़रा सा पागलपन
ज़रा सा बचपना
रखना चाहती हूँ
संभाल कर..-
दुख हमको जितना ज़्यादा मिलता है ...
हम उतना ही ज़्यादा मंझते चले जाते हैं...
परिस्थिति कैसी भी हो धैर्य रखना सीख जाते हैं...
ज़िंदगी के तजुर्बे हमें और निखारते चले जाते हैं...-
तेरी याद मुझे यहाँ खींच लाती है
नन्ही परी तू बहुत याद आती है
छोटी सी उम्र और बड़ी सयानी है
सबक सिखाने वाली तू सबकी नानी है...-
मुझे नहीं मालूम तू किस्मत में हैं या नहीं,
पर तुझे खुदा से माँगना अच्छा लगता हैं,
पता नहीं मुझे हक हैं या नहीं,
पर तेरी परवाह करना अच्छा लगता हैं,
तुझे प्यार करना सही हैं या नहीं,
पर इस एहसास में जीना अच्छा लगता हैं,
पता नहीं हम कभी साथ होंगे भी या नहीं
पर ये ख्वाब देखना अच्छा लगता हैं
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बार- बार शक करना जिस इंसान की फितरत में होता है, वो किसी पर विश्वास नहीं करता।
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Jo achhe lagte ho line bhi unhi ko mari jati hai unhi har kisi ko nahi
Magar mohobbat bhi unhi se hoti hai jinse kabhi banti nahi-