हर साल हर नर्म दास्तान ,
लिपटा है यादों में हर वो इंसान ,
जो छोड़ चला जाता , जज्बातों का चीड़ फाड़ ।
उम्मीदों के बावले इन्तेज़ार की औकात बता जाता ,
की क़र्ज़ हो तुम , मजबूरी चुकाता ।
देखो वो पड़े है मेरे नोचे हुए उम्मीदों के पंख ,
सियाही में डूबा हुआ ,
लिख रहे है दिल का छुआ...
इस उम्मीद में कि
पंख में फँसे बोझ कम हो जाएंगे ,
हिम्मत के धागे इसे वापस सिल पाएंगे।
-
And the plateaus of sigh ,
are growing high ,
With the meadows of happiness ,
thriving lifeless !
The dooming present ,
and persistant accentuating repent ,
strangulating the emotions !
The feels on edge ,
with no one to even pledge ,
Here’s the broke soul ,
summoning GOD to patch this hole !-
जुनून – ए इश्क की क़ैफ़ियत पूछो ना हमसे ,
कि मझधार फसी भावनाओं की कश्ती ,
ज़लालत में डूब गई !-
बारिश की बौछार से
भीगा हुआ मेरा दिल ,
धूप की गुनगुनाहट से ,
सेंकता हुआ मेरा दिल ,
तेज़ हवाओं की थपेड़ों से
चीरता हुआ मेरा दिल ,
झुंझलाहट की मार से
थका हुआ मेरा दिल ,
तेरे साथ होने के एहसास से
सब सह लेना चाहता मेरा दिल ,
तेरी मोहब्बत से बुने घरौंदा से ,
ठहराव समेटेना चाहता मेरा दिल ।
-
आँखों के तिनके इतने मशगूल थे कि
नज़रें चार
मुसलसल अश्क के नमकीन एहसास ,
इन्तेज़ार मुकम्मल कर गया ।
-
मुंतज़िर निगाहें , लेकिन
दिलों में अफवाहें , कि
मेरी दास्तान ए मोहब्बत ,
तेरे बेफिज़ुल मुड़ के देखने का अंजाम है।
-
To
a heart racing ,
are you still into trading ?
Trading of those bloomy sentiments into attachments ?
And profiting it into detachments ?
- From a broke soul
-
वादे थे सबके साथ ना छोड़ने के ,
देखो आज आँसू ही हाल पूछते है ,
गूंजती धड़कने , सिसकती साँसें ,
देखो आज आँसू ही हाल पूछते है ,
जिसे चाहो , वही दूर हो जाता , और ऐसे मेरा आत्मविश्वास भी मुझसे कह जाता कि ,
“देखो आज आँसू ही हाल पूछते है , “
सवाल है दिल में
कि क्या खुशियाँ भी रहती नसीब के बिल में !
नम रहता सिरहाना मेरा ,
अंधेरे की बात है ,अंधेरे तक रहने देना ,
टूट चुके है हर ज़ज्बात मेरे ,
लेकिन हर बार
इन कांपते हाथों को थाम लेते
बुढ़ी माँ के प्यार के बसेरे ।
-
क्यूँकी वो कहते है ना कि
कुर्बानी ऐसी करो की
पीछे मुड़ने में दर्द ना हो ,
यूँ उन जानी पहचानी जगहों के गुजरने पर
धड़कने सर्द ना हो ,
दिखाई देती है ना वो गुफ़्तगू की झलकियाँ ,
आँसुओं से ऐसे मुक़म्मल करो की
नजरे साफ , इज़हार-ए-मोहब्बत मे इसबार
सुकून के पल ही पल हो।-