And in the whirlpool of sorrow,
Dwells the brightest light
Struggling and fighting,
Battling to survive-
बड़ी हलचल है मंज़िलों में,
जैसे खो गया है कारवाँ
वो चकाचौंध होते साहिलों में
घुटती कला ,
जैसे एक से होते हज़ारवाँ।-
अनंत है यह आसमाँ,
किधर दर्द साँझा करूँ?
हुई है नम आँखों की शीत प्रवाह,
बता किधर इस विरह की बौछार करूँ?
हुआ है घरौंदा तबाह मेरा ,
"तपिश की धारा" हृदय तेरा ,
बता इस नाइंसाफी का मैं क्या करूँ?-
क्यूँकी वो कहते है ना कि
कुर्बानी ऐसी करो की
पीछे मुड़ने में दर्द ना हो ,
यूँ उन जानी पहचानी जगहों के गुजरने पर
धड़कने सर्द ना हो ,
दिखाई देती है ना वो गुफ़्तगू की झलकियाँ ,
आँसुओं से ऐसे मुक़म्मल करो की
नजरे साफ , इज़हार-ए-मोहब्बत मे इसबार
सुकून के पल ही पल हो।-
बारिश की बौछार से
भीगा हुआ मेरा दिल ,
धूप की गुनगुनाहट से ,
सेंकता हुआ मेरा दिल ,
तेज़ हवाओं की थपेड़ों से
चीरता हुआ मेरा दिल ,
झुंझलाहट की मार से
थका हुआ मेरा दिल ,
तेरे साथ होने के एहसास से
सब सह लेना चाहता मेरा दिल ,
तेरी मोहब्बत से बुने घरौंदा से ,
ठहराव समेटेना चाहता मेरा दिल ।
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To
a heart racing ,
are you still into trading ?
Trading of those bloomy sentiments into attachments ?
And profiting it into detachments ?
- From a broke soul
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And the plateaus of sigh ,
are growing high ,
With the meadows of happiness ,
thriving lifeless !
The dooming present ,
and persistant accentuating repent ,
strangulating the emotions !
The feels on edge ,
with no one to even pledge ,
Here’s the broke soul ,
summoning GOD to patch this hole !-
फिर से वो जीत गये और मैं हार गयी !
कितनी खुशी की बात है ना तेरे लिए जिंदगी
देख ,वो बचपन का अकेलापन , आज हमराह बन गया !
पस्त पड़ा आत्मविश्वास ,
धड़कने बदहवास ,
यूँ ज़ुबान मे नमकीन स्पर्श ,
धुंधला संदर्श
मेरी औकात बता गया !
सुन लो ऐ हमराह ,
अकेला होना अधूरा नहीं ,
परछाई का साथ ,बुरा नहीं
ये जीवन की सूनी पगडंडी
अनजान है ,
कि हर मोड़ की खंडी
को छांट
डर बेजान है।
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