अफसाना लिख रही है जिंदगी
मिलकर दुखों की इबादत से
नासमझ भूल गई करम का हिसाब करना।-
फ़ासला कहां होता यदि फैसला सब्र से किया होता, रुखसत ना होता दीदार अपनों का यदि दिमाग की जगह दिल प्रयोग किया होता।
-Shubendra Bhatt-
If you don't show attitude then the world thinks you haven't skills
but in reality it is your humanitarian efforts That they don't realize
If you remain calm in this situation then you are really great and you need to be proud of yourself.
#Mind_My_Words #Personal_Experience-
दफना दिया अपनों की आरक्षित खुशियों के पलों को, समाज के डर से चुप रहकर कैसे ?
चार दिन की परेशानी यदि कर लेते बर्दाश्त तो पछतावा ना रहता आखिर में, शायद आप यही गलती कर बैठे।
जब वही समाज समान गलती पर माकूल तर्क देगा,
तब पछताने के अलावा कुछ भी साथ ना होगा।
-Shubendra Bhatt
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सफर हैं जिंदगी
चलते रहना हैं
भय कैसा डगर से
उतार-चढ़ाव सहना हैं
कर्मो से चुनाव आखिरी मार्ग का
अनुसरण जरूरी गीता के सार का
बुरा करना नही
आलोचना से डरना नहीं
#जय_श्री_कृष्णा-
"मत एवं मतभेद"
मत पेटी में "मत" के साथ "मतभेद" भी डालें
आओ मिलकर कान्यकुब्ज सौहार्द बचाले।
कुछ वर्षों की जिंदगी मिलकर बितानी हैं,
आपसी मतभेद से केवल परेशानी ही आनी हैं ।
जीत- हार कुछ भी परिणाम,
बना रहे अपनत्व, अखंडता और सम्मान ।
अपनों को अपनों से दूर करें हैं चुनाव,
आओ मिलकर ले संकल्प मिटाकर आपसी मनमुटाव।
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रास्तों से अनभिज्ञ हूं पर चलता जा रहा हूं,
सफर है मुश्किल फिर भी मुस्कुरा रहा हूं ।
सांवरिया की भक्ति का बल मिल गया,
डर था जो गहरा मन से निकल गया।
#श्री राधे
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अटल है जिनका आचरण सत्य है एक नाम, ऐसे हैं मेरे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ।
उजाला ही उजाला श्री राम नाम का, उदाहरण अविरल शबरी के धाम सा ।
अंजनी पुत्र भक्त हितकारी, रघुकुल रीति का पालन हारी ।
अयोध्या में सज रहा है जिनका सुंदर धाम, ऐसे श्री चरणों को कोटि-कोटि प्रणाम ।
सभी को मिले भगवान पुरुषोत्तम का प्यार, मुबारक हो सभी को रामनवमी का त्यौहार ।
-Shubendra Bhatt-
सिसक-2 कर नम आँखों ने रोना ही छोड़ दिया,
हार गई आंखे भी जब अश्रु ने बहना ही छोड़ दिया ।
-Shubendra Bhatt-
हर श्वास, हर क्षण, हर प्रवास
सभी पर ईश्वर का वास।
धर्म का मार्ग हो, सत्कर्म का प्रसार हो
हर क्षण, हर प्रहर जीवनदाई प्रकृति का शुक्रगुजार हो।
दिखावटी जीवन, बड़े महल, बदनीयती का धन
सब कुछ छूटेगा पल में पीछे माटी होगा विशालकाय तन।
गुमान, रंगदारी सब वहम है
देख लो लाशों के ढेर जिनको भी अहम् है।
दर्द से सिसकता एवं बिलखता अपनों का मन
कोई ढूंढे भाई अपना कोई ढूंढे पिता का तन।
आश उस चूड़ी की खनक और माथे की बिंदिया को
लौटेगा घर का रखवाला निकला था बाहर कमाने जो।
किसी ने खोया पिता, किसी ने खोई मां तो किसी ने बहना
हे ईश्वर हे माधव परिजनों को दुःख सहने की शक्ति देना ।-