ख्वाहिशें बहुत है मगर
किसी से शिकायत नहीं है,
इस दौर में भी परियों को
उड़ने की इजाजत नहीं है.-
Achcha Hua ki mohabbat bazaar mein nahi bikti Varna log humse yah bhi chhin lete
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तुम तो चाहते थे ना मेरा ज़िंदगी भर का साथ,
फिर क्यों नहीं देते हो मेरे हाथों में अपना हाथ...-
क्या रखा है
मिल के बिछड़ जाने में,
क्या मज़ा आता है तुम्हें
मेरा दिल दुखाने में...-
मेरे कितने पास आकर कितनी दूर हो गई हो तुम,
मुझे फांसी के फंदे पर लटकता छोड़ गई हो तुम.
क्या गलती सिर्फ मेरी ही थी,
जो मुझे अकेला तड़पता छोड़ गई हो तुम.-
मैं तुम्हें कभी नहीं दूंगा दिखाई,
एक बार पहले सही से हो जाने दो तो जुदाई.-
मेरे दिल को तेरा यकीन था.
अब क्यों नहीं आता है मेरे पास,
तब तू तो बनता मेरा नसीब था.
जब तुझे निभाना ही नहीं था मेरा साथ,
तो फिर तू मुलाक़ात से क्यों डरता था.-
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तुझ बिन मैं कुछ कर नहीं पाता.
रोज रात अपनी आंखों में,
तुमसे मिलने का कोई ख्वाब सजाता.
रोज तुम्हें मिलने की खातिर,
हर एक दिन नया बहाना बनाता.
मिलने का तो बहाना हैं,
इस दिल को तुम्हारे बिना चैन नहीं आता.-
मेरा दिल मेरा कहां रहा,
ये तो अब किसी और का गुलाम है.
होकर किसी के यह नाम,
करता यूं ही मुझे बदनाम है...-