" अब संभलना ज़रा मुश्किल हो रहा है "
यूं टूट के बिखरना, यूं स्याह सी ज़िन्दगी में रंग भरना,
यूं ख़ुद की तलाश में निकलना, हर सवाल का जवाब ढूंढना,
अब संभलना ज़रा मुश्किल हो रहा है...
एक विश्वास में जीना, हर घूट ज़िन्दगी का पीना,
अपनों से और शायद अब ख़ुद से भी दूर होना,
उजालों की खोज में, अंधेरों से लड़ना,
अब संभलना ज़रा मुश्किल हो रहा है...
ए ज़िन्दगी तुझसे यूं मुलाक़ाते करना, अब और ना जच रहा है,
विश्वास कर मेरा!!
अब संभलाना ज़रा मुश्किल हो रहा है...
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