अपनी गै़रत ,
दाव पर लगा कर
जो गुज़रे थे।
लाज़मी था ,
तेरे शहर में
पत्थरों से सामना।-
6 JAN 2021 AT 22:13
19 FEB 2021 AT 22:55
सपनों के शहर में
निकले हो
सौदागर बनकर
तो सुनलो...
यहां नींदें बेचनी पड़ती हैं,
सपने खरीदने को...-
22 SEP 2020 AT 2:09
मुझे पढ़ने वाले...
मेरे दर्द का अंदाज़ा
ना लगाया कर!
मुझे पढ़ने वाले...
मेरे दर्द का अंदाज़ा
ना लगाया कर।
जो मुझमें ना समा सका...
उसे काग़ज़ क्या समेटेगा!
-
21 SEP 2020 AT 2:12
ग़म ए फुरक़त,
शिक़वे और शिक़ायत...
चार दिन की ज़िन्दगी,
और ख़्वाहिशें निहायत...-
3 MAY 2021 AT 17:00
मैं सताया हुआ किसी का,
मौत की दुआ मांगता हूं...
लोग तफ़रीह करते है मुझसे,
मुझको शायर बताते हैं।-
29 APR 2021 AT 0:17
लोग मेरे हारने के
इंतजार में हैं
कब से
और मेरी ये जिद्द
की आख़री
दम तक लड़ना है-
1 MAR 2021 AT 16:59
रिश्ता ग्वारा नहीं
तो किनारा करो। (२)
यूं बार बार
मज़ाक के नाम पे
दिल की भड़ास
ना निकाला करो।
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15 MAR 2021 AT 21:31
दिखावे के लिए,
हाल चाल पूछ लेते हैं...
पर कोई वास्ता नहीं रखते।
मतलबी लोग,
मतलब तो रखते हैं...
पर कोई राब्ता नहीं रखते।-