उसकी जुदाई के दर्द को अपने लफ्जो के सहारे कुछ इस क़दर भुला देता हूं।।।।।
मायकादे में बैठ कर साथियों के साथ जामो की महफ़िल सजा लेता हूं।।।।
बहुत कोशिश करता हूं मिटा दू उसकी यादे।।।
पर फिर भि किसी ना कसी बात में उसका जीकर आही जाता है।।।
और फिर जब अती उसकी याद तो साथ ही साथ उनका दिया दर्द~ए~दिल बनकर आंसुओ का सैलाब आंखो से निकाल जाता है।।।।
पाता नहीं क्यों आज उस बेहाय को यारो में क्यो चाहता हूं
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